जानकारी के मुताबिक तत्कालीन जिला कलेक्टर राजेश्वर सिंह ने एक मार्च 2006 को एक अधिूसचना जारी कर सिंधी कैम्प बस स्टैंड के सामने की सडक़ पर एक किलोमीटर के हिस्से यानी चांदपोल से रेलवे स्टेशन, गर्वमेंट हॉस्टल से चांदपोल और वनस्थली मार्ग को भारी वाहनों के लिए नो पार्किंग जोन घोषित किया था। इन आदेशों की पालना आज भी नहीं हो पाई।
ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी केवल जाम खुलवाना
चांदपोल से रेलवे स्टेशन को जोडऩे वाली प्रमुख सडक़ पर तकरीबन एक से सवा किलोमीटर के रास्ते पर जाम की स्थिति बनी रहती है। बस स्टैंड के सामने बड़ी संख्या में निजी बसें चलने से ना केवल यात्रियों को परेशानी होती है बल्कि अवैध पार्किंग के कारण रोडवेज की बसें जाम में फंसी रहती हैं। फिर भी मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों को कभी इन बसों का चालान करते हुए नहीं देखा जाता। यहां तैनात पुलिसकर्मी केवल जाम खुलवाने का प्रयास करते हैं।
उल्लेखनीय है कि सिंधी कैम्प बस स्टैंड से प्रतिदिन 1250 बसें संचालित होती हैं। इनमें राजस्थान रोडवेज की 900 बसों के साथ अन्य राज्यों उत्तरप्रदेश,पंजाब, हरियाणा्र उत्तराखंड, जम्मूकश्मीर और हिमाचल प्रदेश की 350 बसें शामिल हैं। बस स्टैंड के बाहर से लोक परिवहन की बसों के साथ अन्य निजी बसें भी संचालित की जाती हैं जबकि इन बसों को सिंधी कैम्प के बाहर से नहीं चलाया जा सकता। इतना ही नहीं शाम के समय स्लीपर बसें भी अनाधिकृत रूप से संचालित की जाती हैं। गौरतलब है कि इनमें अधिकांश बसें वह हैं जिनके पास परमिट टूरिस्ट या कॉन्ट्रेक्ट कैरिज का है। ऐसे में यह नियमों के मुताबिक सिंधी कैम्प से बाहर की सवारियां नहीं उठा सकती लेकिन इसकी पालना भी नहीं हो रही।
रोडवेज प्रशासन ने भी सिंधी कैम्प बस स्टैंड के सामने लगे जाम को खुलवाने के लिए अभियान भी चलाया गया लेकिन नतीजा सिफर। इनका कहना है,
तत्कालीन जिला कलेक्टर राजेश्वर सिंह ने सिंधी कैम्प के बाहर के कुछ क्षेत्र को नो पार्किंग जोन घोषित किया था, लेकिन आज तक इस आदेश की पालना नहीं हो पाई। रोडवेज को तो नुकसान हो ही रहा है, साथ ही आमजन भी परेशान है। यहां से निकलना भी मुश्किल है। प्रशासन को इस संबंध में कदम उठाने चाहिए।
सुधीर भाटी, महामंत्री
आरएसआरटीसी आफिसर्स एसोसिएशन।
निजी बसों के संचालन के लिए आरटीओ से परमिट लिया जाना जरूरी है। हम समय-समय पर इसकी जांच करते हैं, अगर कोई बस अवैध रूप से संचालित होती पाई जाती है तो उसे सीज किया जाता है। जहां तक बसों के खड़े होने की बात है तो इसकी जिम्मेदारी पुलिस की है।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, आरटीओ
जयपुर।
जयमल सिंह, एसएचओ, सिंधीकैम्प थाना फैक्ट फाइल
350 निजी बसों को परमिट
बिना परमिट चल रही तकरीबन 150 से अधिक बसें
राजस्थान रोडवेज की बस- 900
इंटर स्टेट बस- 350