विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस एक नई उभरती हुई बीमारी है, जो की ना सिर्फ मनुष्यों बल्कि जानवरों के लिए भी खतरनाक है। इसे ‘निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस’ भी कहा जाता है। अभी तक केरल में निपाह वायरस की वजह से नौ लोगों की मौत हो चुकी है।
यह वायरस पहली बार 1998 में मलेशिया काम्पुंग सुंगई निपाह में सामने आया था। वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला। इस वायरस ने सबसे पहले को अपना शिकार बनाया था। साल 2004 में बांग्लादेश में भी कई लोग इस वायरस की चपेट में आए। आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है।
इस बीमारी के प्रमुख लक्षण निपाह वायरस के कारण इस बीमारी के लक्षणों की बात करें तो सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार, सिरदर्द, जलन, चक्कर आना, भटकाव और बेहोशी शामिल है। साल 1998-99 में जब ये बीमारी फैली थी तो इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे।
इससे बचने के कुछ उपाय – पेड़ से गिरे हुए फल उठा कर न खाएं
– अगर किसी सब्जी पर जानवरों के खाए जाने के निशान हों तो वे सब्जियां न खरीदें
– जिस जगह पर चमगादड़ अधिक रहते हों वहां खजूर खाने से परहेज करें
– इस वायरस से संक्रमित रोगी, या जानवरों के पास न जाएं-
– अपने भोजन को जांच परखकर सेवन करें
– बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क में नहीं आए अगर आ जाते हैं तो इसके बाद अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह से धो लें
– अगर किसी सब्जी पर जानवरों के खाए जाने के निशान हों तो वे सब्जियां न खरीदें
– जिस जगह पर चमगादड़ अधिक रहते हों वहां खजूर खाने से परहेज करें
– इस वायरस से संक्रमित रोगी, या जानवरों के पास न जाएं-
– अपने भोजन को जांच परखकर सेवन करें
– बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क में नहीं आए अगर आ जाते हैं तो इसके बाद अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह से धो लें