सितम्बर महीने में भी कोई खास उम्मीद नहीं है। अगले महीने के दूसरे पखवाड़े में मानसून का लौटना शुरू होगा और इसकी शुरुआत भी पश्चिमी राजस्थान से ही होगी। आमतौर पर अगस्त में 254.9 मिमी बारिश होती है, जो मानसून सीजन के दौरान होने वाली कुल बारिश का लगभग 30 प्रतिशत होता है। बारिश का यह कोटा पूरा होने के बजाय अगस्त सूखा जैसी स्थितियों से बीत रहा है। इस महीने में हिमालयी क्षेत्र को छोड़कर देश के अ धिकतर हिस्से बारिश को तरसते रहे। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह स्थिति देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत नहीं माने जा सकते हैं।
राजस्थान के 33 में से 15 जिलों में औसत से कम बारिश
मौसम विभाग वर्तमान में प्रदेश में 33 जिले ही मानता है। मंगलवार तक के डाटा के अनुसार 33 में से 15 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है। इसमें 13 जिले पूर्वी राजस्थान के है। पश्चिमी राजस्थान में केवल चूरू और हनुमानगढ़ में ही औसत से कम बारिश रिकॉर्ड हुई है।
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आठ साल बाद सबसे कमजोर मानसून
इस साल का मानसून 2015 के बाद से सबसे शुष्क हो सकता है। वर्ष 2015 में 13 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई थी। मौसम विभाग के अनुसार इस मानसून सीजन के तीन महीने में अब तक देश में सामान्य से नौ फीसदी कम बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार सितंबर तक यह कमी और बढ़ सकती है।
अल-नीनो के साथ दो और प्रणालियां सक्रिय
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि अगस्त में सामान्य से कम बारिश का मुख्य कारण अल-नीनो है। दूसरा कारण दक्षिण चीन सागर में कम दबाव वाली प्रणालियों की कम संख्या भी है। मौजूदा अल नीनो स्थितियों के प्रभाव में बंगाल की खाड़ी पर सामान्य पांच के मुकाबले केवल दो कम दबाव वाली प्रणालियां बनी हैं। इसके साथ ही ‘मैडेन जूलियन ऑसिलेशन’ (एमजेओ) का प्रतिकूल चरण भी देखा जा रहा है। यह एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है, जो मौसम की गतिविधियों को प्रभावित करती है।