धूल का गुबार इतना ज्यादा है कि बारिश के बावजूद आसमान से धूल छंट नहीं रही है। आसमान में छाई धूल के कारण सुबह व शाम के समय दृश्यता भी कम है। प्रदेश के कई जिलों में बुधवार को धूल भरी आंधी चली। सीकर जिले के फतेहपुर क्षेत्र में गुरुवार तड़के चार बजे जबरदस्त आंधी के बाद तेज बरसात हुई। भयंकर अंधड़ से दर्जनों बिजली की पोल टूट गए, कई जगह पेड़ गिर गए और टिन शेड उड़ गए।
मौसम विभाग के अनुसार प्रशांत महासागर में कम दबाव बनने के कारण अलनीनो असर होता है और पिछले वर्षों में अलनीनो का प्रभाव पड़ने के कारण मानसून की गति भी प्रभावित होती है। यही कारण है। इस बार चार दिन देरी से मानसून चार जून को केरल पहुंचेगा। प्रदेश में मानसून के इस बार एक जुलाई तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार आंधी और बेमौसम बारिश का असर जून माह के मध्य तक रहेगा। इस कारण प्रदेश में मानसून भी तय समय पर नहीं पहुंच पाएगा।
प्रदेश में अफगानिस्तान और ईरान से मई और जून में धूल के गुबार आते रहे हैं। उस दौरान हवा में जिप्सम युक्त धूल के कारण लोग उन्हें काली-पीली आंधी कहते थे। उस दौरान धूलभरी आंधी की रफ्तार काफी होती थी, लेकिन अब राजस्थान में आने वाली धूल भरी आंधियों की रफ्तार कम हो गई है। यही कारण है कि मौसम विभाग भी हवा की रफ्तार को 25 से 30 किलोमीटर तक ही आंक रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार गुरुवार को भी प्रदेश के 10 जिलों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धूलभरी आंधी चलेगी। इस दौरान बाड़मेर, बीकानेर, चूरू, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालौर, जोधपुर, नागौर, पाली व श्रीगंगानगर जिले में एक-दो स्थानों पर आंधी के साथ आकाशीय बिजली गिरने और बूंदाबांदी की संभावना है।