प्रभावितों में ज्यादातर बुजुर्ग
अजमेर, ब्यावर, राजसमंद जिलों में हुई शुरुआती जांच में बड़ी संख्या में ऐसे प्रभावित सामने आए। प्रदेश के बाकी 47 जिलों में जांच होना अभी बाकी है। गंभीर यह भी है कि फील्ड अफसरों को जिन मामलों को पता चला, उनमें भी वेरीफिकेशन के नाम पर अटकाते गए। प्रभावितों में ज्यादातर बुजुर्ग हैं, जो किसी न किसी पर आश्रित हैं। खाते में पेंशन राशि नहीं आने से मुश्किलें बढ गई है। इसे लेकर सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता भी काम कर रहे हैं। प्रदेश में 90 लाख लोग सामाजिक सुरक्षा पेंशन स्कीम से जुड़े हुए हैं।पत्रिका ने मामले की पड़ताल की तो खुली परतें
प्रदेश में पेंशनधारी बुजुर्ग, एकल नारी, दिव्यांग, किसान, वृद्धजन अपने ही अस्तित्व को साबित करने के लिए जूझ रहे हैं। सरकारी सिस्टम ने ऐसे सैकड़ों लोगों को मृत बताकर उनकी पेंशन बंद कर दी, जबकि वे जीवित और सकुशल हैं। राजस्थान पत्रिका ने सामने आए मामलों की पड़ताल की तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ। कई प्रभावितों को पेंशन मिलना तो दूर, उलटे खुद को जीवित बताने के लिए एडी से चोटी तक जोर लगाना पड़ रहा है।नाम- मेणा देवी (89)
पीपीओ नं. आरजे-एस-1463840 राजसमंद के भीम तहसील में धोती निवासी बुजुर्ग महिला को पिछले वर्ष जनवरी से पेंशन नहीं मिल रही। पति और बच्चे नहीं है। उम्र के इस पड़ाव पर मेणा देवी के रिश्तेदारों ने कई बार संबंधित विकास अधिकारी, उपखंड अधिकारी को बताया, लेकिन पेंशन शुरू कराने में सफल नहीं हो पाए। जनाधार कार्ड नहीं है और मोबाइल नहीं होने से आधार कार्ड लिंक प्रक्रिया नहीं हो सकती।नाम- दाऊ सिंह (70)
पीपीओ नं. आरजे-एस-06724450 जनवरी, 2023 से पेंशन मिलना बंद हो गई। वेरीफिकेशन नहीं होने का हवाला दे मृतक श्रेणी में डाल दिया गया। जबकि, बीडीओ जानकारी थी कि दारू सिंह जीवित है। वृद्ध होने के बावजूद चक्कर लगाते रहे, पर सुनवाई कुछ समय पहले हुई। दूसरा पीपीओ नम्बर जारी करना पड़ा लेकिन बकाया पेंशन के लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है।नाम- धापू देवी (92)
पीपीओ नं. आरजे-ए-00650778 कालादेह निवासी धापू देवी पिछले 28 महीने से पेंशन का इंतजार कर रही है। उनका पोता संतोष कलक्टर कार्यालय तक के लिए चक्कर लगा चुका है। सूची में मृतक होने का पता चला तो चौंक गए। फिर आधार व जनाधार कार्ड बनाने में जुटे, लेकिन नहीं बना। शिकायत भी दर्ज कराई पर समाधान नहीं हुआ।नाम- भूराराम (73)
पीपीओ नं. आरजे-ए-01742013 पेंशन इसलिए रुक गई कि दस्तावेज में उन्हें मृतक घोषित कर दिया तो वे चौंक गए। उनके भाई के परिवार के लोगों ने पता किया तो री-वेरीफिकेशन के नाम मृतक श्रेणी में डालना सामने आया। भूराराम एकल पुरुष हैं और पेंशन नहीं मिलने से भाई के परिवार ही पूरी तरह निर्भर हैं। नए सिरे से पेंशन के लिए आवेदन किया है।नाम- सोहनी देवी (82)
पीपीओ नं. आरजे-ए-01948031 धोरेला निवासी हैं और जनवरी, 2023 से पेंशन के इंतजार में है। पोते दिनेश प्रजापत को पेंशन बंद होने के कारण का पता चला तो अफसरों को खरी-खोटी सुनाई। अब अंगूठे के निशान सही तरीके से स्कैन नहीं हो पा रहे हैं। नए पीपीओ के लिए आवेदन किया है। इन्हें अप्रेल, 2013 से पेंशन मिल रही थी।नाम- दाखू देवी (92)
पीपीओ नं. आरजे-ए- 04930826 सुनारकुडी, भीम निवासी दाखू देवी को अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि उन्हें मृत बता दिया। उम्रदराज होने के कारण ज्यादा चिंता नहीं है, लेकिन सिस्टम ने उनकी जरूरत को नहीं समझा। पहली पेंशन मई, 2000 में शुरू हुई, लेकिन अब 21 माह से खाते में पैसे का इंतजार कर रही है। अंगूठे का इम्प्रेशन नहीं आने से अब नए सिरे से कार्यवाही अटकी हुई है।नाम- झमकू देवी (77)
पीपीओ नं. आरजे-ए- 01962472 जनाधार पोर्टल से ही नाम हटा दिया गया और मृत मान लिया। इनकी बहु भंवरी देवी ने बताया कि कैसे किसी भी व्यक्ति को मृत बता दिया जा सकता है। कैसे पेंशन रोक सकते हैं। अंतिम बार दिसम्बर, 2022 में पेंशन मिली थी।पंजीकृत पेंशनधारी
सामान्य वृद्धजन- 60.34 लाख एकलनारी-विधवा- 21.95 लाख विशेष योग्यजन- 6.42 लाख कृषक वृद्धजन- 2.12 लाखएक्शन लें ताकि ऐसी स्थिति न बने
वंचित वर्ग पेंशन का इंतजार कर रहा है। हक से वंचित करने वालों के खिलाफ भी एक्शन लेना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं बने। – निखिल डे, सामाजिक कार्यकर्ता गलती से पेंशन बंद हो गई या लगता है कि गलत वेरीफिकेशन हो गया तो री-ओपन करने का अधिकार भी उन्हीं को है। किसी भी योग्य पेंशनधारी को दिक्कत नहीं होने देंगे। उनकी पेंशन शुरू कराकर बकाया पेंशन राशि भी दी जाएगी। – हरी सिंह मीणा, अतिरिक्त निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग