करीब 1200 किमी लंबी नहर, पाइप लाइन और टनल के जरिए राजस्थान के 21 जिलों की 3.25 करोड़ आबादी की प्यास बुझेगी। दोनों राज्यों के बीच 20 साल से विवाद चल रहा था, जो अब पूरी तरह खत्म हो गया है। दावा किया जा रहा है कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद बाढ़ व सूखे की समस्या का स्थायी समाधान होगा। परियोजना के तहत कृत्रिम जलाशय बनाने के साथ जयपुर की लाइफ लाइन बीसलपुर बांध की क्षमता 0.50 मीटर बढ़ाई जाएगी।
बांध से लेकर बनाएंगे कृत्रिम जलाशय
बैराजः कुल नदी पर रामगढ़ बैराज, पार्वती नदी पर महलपुर बैराज, कालीसिंध नदी पर नवनेरा बैराज, मेज नदी पर मेज बैराज, बनास नदी पर नीमोद राठौड़ बैराज बनाया जाएगा। कृत्रिम जलाशयः अजमेर में मोर सागर और अलवर में कृत्रिम जलाशय बनाएंगे। बांध निर्माणः ईसरदा, डूंगरी ।
यह भी होगा…..
कूनो उप – बेसिन में फव्वारा पद्धति आधारित सिंचाई योजनाएं विकसित कर शाहबाद क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। पार्वती उप बेसिन में अंधेरी सिंचाई परियोजना व सुकनी (नदी) जलाशय विकसित करेंगे। कालसिंध उप-बेसिन- झालावाड़ जिले में मनोहरथाना सिंचाई परियोजना, मोरी कृत्रिम जलाशय एवं सोयला कृत्रिम जलाशय का निर्माण होगा।
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एमपी-राजस्थान के इन जिलों में पहुंचेगा पानी
राजस्थान के 21 जिले: जयपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, गंगापुरसिटी, ब्यावर, केकड़ी, दूदू कोटपूतली -बहरोड़, खैरथल – तिजारा, डीग व जयपुर ग्रामीण | एमपी के 13 जिले: गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, देवास, आगर मालवा, शाजापुर व राजगढ़।
158 बांधों को भरेंगे ये हैं प्रमुख बांध
टोंक जिला- बीसलपुर, गलवा, टोरडी सागर, मासी, गलवानिया एवं चांदसेन बांध दौसा- मोरेल, माधोसागर, कालाखो सैंथल सागर बांध । दूदू- छापरवाड़ा, जयपुर ग्रामीण जिले के खरड़ बांध, रामगढ़ बांध, कालख बांध, कोटपूतली बहरोड़ जिले के छितौली व बुचारा (मध्यम) बांध । भरतपुर- अजान लोवर, अजान अपर, बरैठा बांध।
डीग- सीकरी बांध धौलपुर- पार्वती बांध, उर्मिला सागर, तालाबशाही, रामसागर बांध करौली- पांचना, जग्गर बांध । सवाईमाधोपुर- सूरवाल, ढील। गंगापुर सिटी- मोरा सागर बांध केकडी- लसाड़िया बांध अलवर- जयसमंद बांध
जयपुर- रामगढ़ बांध
इन नदियों को जोड़ेंगे…..
प्रोजेक्ट में चंबल और इसकी सहायक नदियां पार्वती, कालीसिंध, कूनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी और मेज जैसी नदियों को जोड़ा जाएगा। यह भी पढ़ें