डॉ. कल्ला ने कहा कि राज्य में निजी स्तर पर जो लोग नलकूप लगा रहे हैं, वे भी आवश्यक रूप से भूजल रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण करें, इसके लिए भी प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। सरकार ने 300 वर्गमीटर के स्थान पर 200 वर्गमीटर के भूखण्ड पर बनने वाले परिसरों के लिए वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाने को अनिवार्य किया है। इसी प्रकार प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में भी ड्रिप इरिगेशन से कम पानी में अधिक उत्पादन लेने की पद्धतियों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने पर फोकस किया जाए। उन्होंने कहा कि अटल भूजल योजना के तहत प्रदेश के 17 जिलों के 38 ब्लॉक में 1144 ग्राम पंचायतों पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन से जुड़े सभी विभाग टीम स्पिरिट से समन्वित प्रयास कर भूजल की स्थिति में सुधार के लिए जन सहभागिता को बढ़ावा दें।
भूजल एवं जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) सुधांश पंत ने कहा कि राज्य में भूजल रिचार्ज की तुलना में करीब डेढ़ गुना दोहन हो रहा है। यहां भूजल की दृष्टि से सुरक्षित ब्लॉक्स की संख्या में कमी आ रही है, ऐसे में अटल भूजल योजना राज्य के परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्वपूर्ण योजना है। कृषि आयुक्त ओमप्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में कैनाल वाटर का स्टोरेज कर सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन देने के लिए 5 हजार डिग्गियों का निर्माण कराया जा रहा है। इसके अलावा फार्म पॉन्ड के निर्माण में भी कृषकों का अनुदान दिया जा रहा है।