खास बात है कि सैकड़ों कॉलेज ऐेसे हैं जहां स्थायी शिक्षक ही नहीं है। ऐसे में इन कॉलेजों में ताले लटक गए हैं। कई कॉलेज सिर्फ प्रिंसिपल के भरोसे रह गए हैं।
राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए कांग्रेस सरकार ने विद्या संबल योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत सोसायटी कॉलेजों में अस्थायी शिक्षक लगाए गए। ये शिक्षक सहायक आचार्य पद पर कार्यरत थे। लेकिन अब कॉलेज आयुक्तालय ने 1130 शिक्षकों को कार्यमुक्त कर दिया है। हालांकि आयुक्तालय की ओर से अभी कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन मौखिक तौर पर सभी को सूचना दे दी गई है।
सोसायटी कॉलेजों से हटाए जाने के बाद अस्थायी शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षकों ने दो मार्च से प्रदेशभर में आंदोलन की चेतावनी दी थी। लेकिन शिक्षकों को आश्वासन दिया गया कि सरकार जल्द ही निर्णय लेगी। इसके बाद शिक्षकों ने आंदोलन रोक दिया। कॉलेजों में अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी के प्रावधानों के तहत की जाती है। गत वर्ष 2023 -24 सत्र में भी मौखिक आदेश से शिक्षक हटा दिए गए थे।
एसएमएस में लंबी लाइनें देख सीएस विचलित….कहा…”कतारों से दिलाओ मुक्ति, डिजिटल डिस्प्ले शुरू करो और ऑनलाइन सिस्टम मजबूत बनाओ”
कॉलेजों में नई शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई तो शुरू कर दी, लेकिन छात्रों के अनुपात में शिक्षक नहीं हैं। सोसायटी कॉलेजों में लगे अस्थायी शिक्षकों को भी हटा दिया है। इससे छात्रों को नुकसान हो रहा है। सरकार विद्या संबल योजना के तहत वापस शिक्षकों को नियुक्त करे ताकि कॉलेजों में पढ़ाई सुचारू हो सके।
– बनय सिंह, महामंत्री (रुक्टा)
बीच सत्र में 1130 साथियों को बेरोजगार कर दिया। अब हम कहां जाएं। वहीं द्वितीय सेमेस्टर की अभी पढ़ाई प्रारम्भ हुई नहीं तो विद्यार्थी बिना पढ़े कैसे परीक्षा देंगे। सरकार ने अश्वासन दिया है कि शीघ्र समय बढ़ा रहे हैं। अब तक आदेश नहीं आया है। मांग पूरी नहीं हुई तो जयपुर में धरना देंगे।
– डॉ. रामसिंह सामोता, सहायक आचार्य, विद्या सम्बल योजना