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Vegetable Ghee Prices: वनस्पति घी के दामों में आई तेजी, खपत 10 फीसदी बढ़ी

शादियों और घर के खाने पर कई दशकों तक राज करने वाले वनस्पति घी की खपत एक बार फिर बढ़ने लगी है। अन्य खाने के तेल के मुकाबले कीमत कम के चलते पिछले छह माह में वनस्पति घी की खपत 10 फीसदी तक बढ़ गई है।

जयपुरOct 27, 2022 / 11:27 am

Narendra Singh Solanki

Vegetable Ghee Prices: वनस्पति घी के दामों में आई तेजी, खपत 10 फीसदी बढ़ी

Vegetable Ghee Prices: वनस्पति घी के दामों में आई तेजी, खपत 10 फीसदी बढ़ी

शादियों और घर के खाने पर कई दशकों तक राज करने वाले वनस्पति घी की खपत एक बार फिर बढ़ने लगी है। अन्य खाने के तेल के मुकाबले कीमत कम के चलते पिछले छह माह में वनस्पति घी की खपत 10 फीसदी तक बढ़ गई है। खाद्य तेल उत्पादकों का कहना है कि भारतीय बाजार कीमत के लिहाज से बड़ा लचीला है। यहां तेलों की कीमत कम होने से उसके उपभोग में वृद्धि होती है। 2021-22 वनस्पति घी का उत्पादन 1.5 मिलियन टन रहा, जो गत वर्ष के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा है। इस तेजी के पीछे सोया, मूंगफली तेल, सरसों तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि का होना है। आज सोया रिफाइंड 2250 से 2300 रुपए, मूंगफली तेल 2800 से 3000 रुपए और सरसों तेल 2400 रुपए प्रति टिन तक बिक रहा है। महंगाई के इस दौर में लोग घर और आयोजनों में अब वनस्पति घी का इस्तेमाल करने लगे हैं। वनस्पति घी की कीमत 1700 से 1800 रुपए प्रति टिन चल रही है, जो मौजूदा तेलों की कीमत से 500 रुपए प्रति टिन कम है।
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कैसे बनता है वनस्पति घी
सबसे पहले ताड़ के झाड़ के बीज इकट्ठा किए जाते हैं। फिर इन बीजों को हाई प्रेशर वाली मशीन पर इतना क्रश किया जाता है कि इनमें से तेल निकल जाए। फिर इस तेल को फिल्टर किया जाता है और इसमें विटामिन-ए और विटामिन-ई जैसे तत्व मिलाए जाते हैं और इस फिल्टर प्रोसेस में तेल को कई प्रकार के केमिकल कम्पाउंड के जरिए प्रयोग करने योग्य बनाया जाता है। फिर इसमें वेजिटेबल ऑयल मिलाया जाता है। हाइड्रोजन बॉन्ड, जिसमें बहुत हाई तापमान में मशीनों में प्रोसेस किया जाता है। यही स्टेज होती है जब वेजिटेबल ऑयल वनस्पति घी के रूप में बदल जाता है।
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क्या है वनस्पति और देसी घी में अंतर
वनस्पति घी वेजिटेबल ऑयल का हाइड्रोजेनेटेड फॉर्म होता है। वेजिटेबल ऑयल में दो कार्बन बॉन्ड्स होते हैं और इसमें हाइड्रोजन मिलाया जाता है और हाई टेम्प्रेचर पर इसे घुमाया जाता है, जिससे ये घी जैसी ग्रेनी कंसिस्टेंसी वाला हो जाता है। वनस्पति घी में बहुत ही अधिक मात्रा में ट्रांस फैट होता है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि हमें ट्रांस फैट एसिड की जरूरत ही नहीं है, लेकिन वनस्पति तेल में इसकी मात्रा 60 फीसदी से भी ज्यादा होती है, जो कि मीट से भी बहुत ज्यादा है। डेयरी उत्पादों में ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा करीब 2 से 5 फीसदी तक ही होती है। इसकी अधिक मात्रा न केवल आपके दिल के लिए नुकसानदायक है, बल्कि यह आपके डायबिटीज के जोखिम को भी बढ़ा सकती है। इसलिए इसे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा नहीं माना जाता है।
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