सूत्रों की मानें तो राजे के राष्ट्रीय टीम में यथावत रहने से अब राजस्थान की राजनीति में भी कई परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। राजे के करीबी नेताओं में इस बात को लेकर खुशी है कि उनकी नेता केंद्रीय टीम में यथावत हैं। माना जा रहा है कि उनके करीबी नेताओं की अब पार्टी में चहलकदमी बढ़ेगी। ये नेता पहले भी खुलकर पार्टी पर राजे की अनदेखी करने का आरोप लगा चुके हैं।
सक्रियता से मिल रहे थे संकेत राजस्थान के सियासी घटनाक्रम के दौरान जब राजे की चुप्पी को लेकर सवाल उठने लगे तो राजे ने राष्ट्रीय नेतृत्व से इसकी शिकायत की थी। उन्होंने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह सहित कई नेताओं से मुलाकात की थी। इसके बाद जब राजे राजस्थान लौटी तो उनका नेताओं से मिलने का क्रम संकेत देने लगा था कि एक बार फिर वे पार्टी में सक्रिय होंगी। उन्होंने जयपुर प्रवास के दौरान कई विधायकों और नेताओं से मुलाकात की। राजे पिछले दिनों दोबारा दिल्ली पहुंची थी। वहां राजे ने फिर नड्डा से मुलाकात की थी। तब यह तय माना जा रहा था कि नड्डा की टीम में उन्हें यथावत रखा जाएगा।
प्रदेश टीम में नहीं मिली थी जगह वसुंधरा राजे के करीबियों को प्रदेश टीम में जगह नहीं मिली थी। इसके बाद राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी. सतीश के बुलावे पर पार्टी मुख्यालय में उन्होंने करीब ढाई घंटे वार्ता की। इसमें संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां भी शामिल थे। तब भी यह संकेत मिले थे कि अब उनके सुझाए नामों को भी मोर्चा, प्रकल्प और प्रदेश कार्यसमिति में शामिल किया जाएगा।