राजस्थान में कानून व्यवस्था चौपट हो रही है। इसकी बानगी हाल ही में प्रतापगढ़ में देखने को मिली, जहां उपद्रवियों ने पुलिस थाने में घुसकर न सिर्फ पुलिसकर्मियों से जमकर मारपीट ही की बल्कि वहां तैनात संतरी से राइफल छीनकर भी भाग निकले। इधर बिगड़ती कानून व्यवस्था पटरी पर लाने का आश्वासन देने के बजाये सरकार के मंत्री लोगों को खुद के बचाव को लेकर नई-नई सीख देने लगे हैं।
बुधवार को सरकार में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग मंत्री नंदलाल मीणा का एक ऐसा ही विवादित बयान सामने आया। मीणा ने महिलाओं और बालिकाओं को में नहीं जाने देने की नसीहत दी। मंत्री मीणा ने आदिवासी समाज के लोगों को कहा कि अपनी बहन-बेटियों को अकेले बाजार, हाट में नहीं भेजें।
उपद्रव प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने पहुंचे थे मीणा
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग मंत्री नंदलाल मीणा बुधवार को प्रतापगढ़ के सालमगढ़ थाने में हुए उपद्रव का जायज़ा लेने बड़ी साखथली पहुंचे हुए थे। उन्होंने मंच पर बालकों, पीड़ित बालिका, लोगों और पुलिस से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। पुलिस अधिकारियों को ढिलाई बरतने पर फटकारा। वहीं लोगों से शांति बनाए रखने को कहा।
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग मंत्री नंदलाल मीणा बुधवार को प्रतापगढ़ के सालमगढ़ थाने में हुए उपद्रव का जायज़ा लेने बड़ी साखथली पहुंचे हुए थे। उन्होंने मंच पर बालकों, पीड़ित बालिका, लोगों और पुलिस से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। पुलिस अधिकारियों को ढिलाई बरतने पर फटकारा। वहीं लोगों से शांति बनाए रखने को कहा।
मंत्री मीणा ने आदिवासी समाज के लोगों को कहा कि अपनी बहन-बेटियों को अकेले बाजार, हाट में नहीं भेजें। उन्होंने कहा कि यह हालात पुलिस की कार्रवाई में बरती गई लापरवाही के कारण हुए हैं। उन्होंने इलाके के जनप्रतिनिधियों से भी कहा कि शुक्रवार को प्रतापगढ़ कलक्ट्रेट पहुंचे।
वहीं पुलिस अधीक्षक शिवराज मीणा को निर्देश दिए कि उदयपुर आईजी को भी शुक्रवार को प्रतापगढ़ बुलाएं। दूसरी ओर इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग लेकर सर्वजन समाज ने कलक्ट्री पर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। पुलिस ने थाने पर हमला मामले में 300 से अधिक लोगों पर मामले दर्ज किए है।
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
ये पहली बार नहीं है जब मंत्री मीणा ने विवादित बयान दिया हो। वे कई बार अपने बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रह चुके हैं। मंत्री बनने के बाद उन्होंने सवर्ण जातियों के विरोध में बयान दिया था जो तूल पकड़ गया था। तब दिए बयान पर मीणा के खिलाफ निचली अदालत में तीन परिवाद भी दायर हुए थे और प्रदेश भर में सवर्ण संगठनों ने आंदोलन किया था। मीणा ने विवादित बयान में कहा था कि मीणा समाज के पिछड़े रहने के लिए बनिये-ब्राह्मण जिम्मेदार हैं।
ये पहली बार नहीं है जब मंत्री मीणा ने विवादित बयान दिया हो। वे कई बार अपने बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रह चुके हैं। मंत्री बनने के बाद उन्होंने सवर्ण जातियों के विरोध में बयान दिया था जो तूल पकड़ गया था। तब दिए बयान पर मीणा के खिलाफ निचली अदालत में तीन परिवाद भी दायर हुए थे और प्रदेश भर में सवर्ण संगठनों ने आंदोलन किया था। मीणा ने विवादित बयान में कहा था कि मीणा समाज के पिछड़े रहने के लिए बनिये-ब्राह्मण जिम्मेदार हैं।
मीणा का एक और बयान विवादों में रहा था। तब उन्होंने कहा था, “दस दिन में विकास हो सकता है क्या। बच्चा पैदा करने मे भी नौ महीने लगते है।” ये जवाब उन्होंने तब दिया जब मीडिया ने उनसे पूछा कि दस दिन में विकास के क्या काम होंगे।
इतना ही नहीं एक बार तो मंत्री मीणा ने विधानसभा सदन के भीतर ही विवादित बयान दे दिया। कांग्रेस विधायक घनश्याम मेहर ने जब जनजाति हॉस्टलों की बदहाली पर सवाल किया तो मंत्री नंदलाल मीणा ने कहा, ”करौली माडा (मॉडिफाइड एरिया डेवलपमेंट एजेंसी) क्षेत्र में लडकियों को नहीं पढाने से वहां दो पुरूषों में दो शादियों की प्रथा शुरू हो गई है।”
वहीं सबसे ज़्यादा सुर्ख़ियों में उनका मौताणे को लेकर विवादित बयान रहा। भाजपा के मंत्री ने उदयपुर में आदिवासी कुप्रथा ‘मौताणा’ को सही ठहराया था। जबकि मौताणा प्रदेश के आदिवासी अंचल की एक कुप्रथा है। इसमें किसी हादसे अथवा संदिग्ध अवस्था में हुई मौत पर आदिवासी जातियां शव का अंतिम संस्कार तब तक नहीं करती जब तक की मौताणे के रूप में भारी-भरकम मुआवजा नहीं मिल जाता। हालांकि, बाद में मीणा अपने ही बयान से पलट गए थे।
वहीं मीणा-मीना विवाद पर भी उन्होंने विवादित बयान दिया था। उन्होंने अपनी ही सरकार के मंत्री अरुण चतुर्वेदी और डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, ”अरुण चतुर्वेदी क्या मेरे मां-बाप होते हैं क्या, जो तय करेंगें कि मैं मीणा हूं या मीना।”