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महाराणा प्रताप जयंति पर पोस्ट की ये कविताआपको बता दें कि वसुंधरा राजे सिंधिया ने महाराणा प्रताप जयंति के अवसर पर अपने फेसबुक पेज पर एक कविता पोस्ट की थी जिसको लोगों ने खूब सराहा। ये कविता इस प्रकार है—
क्षण भर में गिरते रूण्डों से, मदमस्त गजों के झुण्डों से।
घोड़ों से विकल वितुण्डों से, पट गई भूमि नर–मुण्डों से।।
ऐसा रण राणा करता था, पर उसको था संतोष नहीं।
क्षण–क्षण आगे बढ़ता था वह, पर कम होता था रोष नहीं।।
त्याग, बलिदान, अदम्य साहस और स्वाभिमान के प्रतीक मेवाड़ के महान योद्धा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन।
क्या होता है सेंगोल
आपको बता दें कि सेंगोल संस्कृत शब्द “संकु” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “शंख”। शंख हिंदू धर्म में एक पवित्र वस्तु थी। इसे अक्सर संप्रभुता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक था। यह सोने या चांदी से बना था, और इसे अक्सर कीमती पत्थरों से सजाया जाता था। सेनगोल राजदंड औपचारिक अवसरों पर सम्राट द्वारा ले जाया जाता था, और इसका उपयोग उनके अधिकार को दर्शाने के लिए किया जाता था।
आपको बता दें कि सेंगोल संस्कृत शब्द “संकु” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “शंख”। शंख हिंदू धर्म में एक पवित्र वस्तु थी। इसे अक्सर संप्रभुता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक था। यह सोने या चांदी से बना था, और इसे अक्सर कीमती पत्थरों से सजाया जाता था। सेनगोल राजदंड औपचारिक अवसरों पर सम्राट द्वारा ले जाया जाता था, और इसका उपयोग उनके अधिकार को दर्शाने के लिए किया जाता था।
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इन साम्राज्यों ने किया सेंगोल का उपयोगभारतीय इतिहास के अनुसार देखा जाए तो सेंगोल राजदंड का इतिहास प्राचीन है। इसका का पहला ज्ञात उपयोग मौर्य साम्राज्य द्वारा किया गया था इसके बाद गुप्त साम्राज्य, चोल साम्राज्य, विजयनगर साम्राज्य, मुगल साम्राज्य तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा किया जा चुका है।