जयपुर

Vaikuntha Chaturdashi 2020 विष्णु और शिव कृपा एक साथ प्राप्त करने का दिन, जानिए पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुण्ठ चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक विष्णु पूजा से मृत्यु के बाद वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। खास बात यह है कि यह दिन शिव और विष्णु के मिलन के दिन के रूप में भी जाना जाता है।

जयपुरNov 28, 2020 / 08:11 am

deepak deewan

Vaikuntha Chaturdashi Puja Vidhi Muhurta Importance Vishnu Shiva Puja

जयपुर. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुण्ठ चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक विष्णु पूजा से मृत्यु के बाद वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। खास बात यह है कि यह दिन शिव और विष्णु के मिलन के दिन के रूप में भी जाना जाता है।
मान्यता है कि भगवान शिव ने कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को ही भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही महादेव की भी पूजा का महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी को जब योग निद्रा से उठते हैं तो उसके बाद से ही वे शिवजी के ध्यान में लीन हो जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध में वीरगति प्राप्त योद्धाओं का वैकुण्ठ चतुर्दशी को ही श्राद्ध कराया था। यही वजह है कि इस दिन श्राद्ध और तर्पण कर्म करना भी उत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से आराधना करने से उनके धाम वैकुण्ठ में स्थान प्राप्त होता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि इस वर्ष 28 नवंबर को है। इस दिन सुबह 10. 21 बजे चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी। 29 नवंबर को दोपहर 12.47 मिनट तक है। वैकुण्ठ चतुर्दशी 28 नवंबर को मनाई जाएगी। रात 11.42 मिनट से देर रात 12.37 मिनट तक पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त है। पर आम भक्त सुबह 10. 21 बजे के बाद दिनभर पूजा कर सकते हैं।

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