खान व गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि राजस्थान दुनिया के नक्शे पर प्रमुखता से उभर कर सामने आ गया है। उन्होंने यूरेनियम के उत्खनन के निर्णय को प्रदेश की माइनिंग क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि बताया है। एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सीकर जिले की खण्डेला तहसील के रोहिल में 1086.46 हैक्टेयर क्षेत्र में यूरेनियम के विपुल भण्डार मिले हैं। विभाग की ओर से यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया के आवेदन पर खनिज यूरेनियम ओर व एसोसिएटेड मिनरल्स के खनन के लिए एलओआई जारी कर दी है। आरंभिक अनुमानों के अनुसार इस क्षेत्र में करीब 12 मिलियन टन यूरेनियम के भण्डार संभावित है। देश में अभी तक झारखण्ड के सिंहभूमि के जादूगोडा और आंध्र प्रदेश में यूरेनियम का उत्खनन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद राजस्थान मेंं भी खनिज का खनन आरंभ हो जाएगा। यूरेनियम का प्रमुखता से उपयोग बिजली बनाने में किया जाता है। परमाणु उर्जा के अलावा दवा, रक्षा उपकरणों, फोटोग्राफी सहित अन्य में भी यूरेनियम का प्रमुखता से उपयोग होता है। दुनिया में सर्वाधिक यूरेनियम का उत्पादन कजाकिस्तान, कनाडा और आस्ट्रेलिया में होता है। इसके अलावा निगेर, रुस, नामीबिया, उज्बेकिस्तान, यूएस व यूक्रेन में भी यूरेनियम खनिज मिला है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से करीब 3 हजार करोड़ का निवेश किया जाएगा। इसके साथ ही करीब 3 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा वहीं सह उत्पादों के आधार पर क्षेत्र में सह उद्योग की स्थापना की राह भी प्रशस्त होगी। उन्होंने बताया कि अब यूरेनियम कारपोरेशन इंडिया की ओर से परमाणु उर्जा विभाग, परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय हैदराबाद से खनन योजना अनुमोदित कराकर प्रस्तुत की जाएगी। इसी तरह से खान विकास एवं उत्पादन करार एमडीपीए के समय खनिज रिजर्व मूल्य 0.50 प्रतिशत राशि परफारमेंस सिक्यूरिटी बैंक गांरटी के रुप में दी जाएगी। इसी तरह से भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन से ईसी लेनी होगी और 69.39 हैक्टेयर चरागाह भूमि की राजस्व विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा।