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Donkey Smuggling: गधों की तस्करी का अनूठा तरीका, चराते-चराते तस्कर भारत-नेपाल सीमा पार कर पहुंचा रहे चीन

गधों की खाल से पौरुष बढ़ाने वाली दवा बनाने के लिए भारत के कई राज्यों से गधों को जिंदा या मुर्दा नेपाल के रास्ते तस्कर चीन ले जा रहे हैं।

जयपुरDec 15, 2024 / 03:09 pm

Devendra Singh

Donkey smuggling

Donkey smuggling

देवेंद्र सिंह / जयपुर गधों की खाल से पौरुष बढ़ाने वाली दवा बनाने के लिए भारत के कई राज्यों से गधों को जिंदा या मुर्दा नेपाल के रास्ते तस्कर चीन ले जा रहे हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के गर्दभ पालकों को चीनी एजेंट अधिक पैसे देकर खरीद कर चीन भेज रहे हैं। आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा के एक सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल आर. सुरबाथुला ने अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है।

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हालांकि सरकारी तौर पर स्पष्ट नहीं हो पाया कि गधों व उनकी खाल के व्यापार का तरीका क्या है, लेकिन इतना तय है कि तस्कर गधों को भारत से चीन पहुंचाने के लिए नेपाल का रूट इस्तेमाल कर रहे हैं। नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के जवानों ने अवैध रूप से सीमा पार करते कई बार खच्चर और गधों को पकड़ा है। कई गैर सरकारी संगठन भी इस ओर इशारा कर रहे हैं। इससे अंदेशा पुख्ता हुआ है कि तरकर भारत-नेपाल की खुली सीमा पर गधों को चरने के लिए छोड़ देते हैं और मौका देखते ही इन्हें नेपाल की सीमा में हांक देते हैं।

खाल की भी हो रही तस्करी

ब्रुक इंडिया की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात से गधों को लाकर आंध्र प्रदेश व बिहार में उनका कत्ल किया जाता है और खाल को नेपाल के रास्ते चीन भेजा जाता है। दरअसल भारत-नेपाल की खुली सीमा करीब डेढ़ सौ किलोमीटर तक फैली है। भारत नेपाल सीमा पर सख्ती नहीं होने से तस्कर छोटे वाहनों या दुपहिया वाहनों में छिपाकर गधों की खाल नेपाल के रास्ते चीन भेजते हैं।

तस्कर गधों के साथ पैदल पार करते हैं सीमा

नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) कई बार अवैध रूप से सीमा पार करने वाले सैकड़ों खच्चरों को पकड़ चुका है। ऐसे में तस्कर एपीएफ को चकमा देकर वापस भारतीय सीमा में भाग जाते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार सीमा पर इस तरह की घटनाएं अक्सर होती हैं। तस्कर रुपईडीहा (बहराइच- यूपी) सीमा पर गधों को लाते हैं और कुछ दिनों तक खुले मैदान में चरने छोड देते हैं। मौका मिलते ही वे इनको लेकर नेपाल में घुस जाते हैं।

सीमा पर लूप होल तस्करों के मददगार

रक्सौल (बिहार में) में भारत-नेपाल सीमा पर बना लूप होल तस्करों का एकीकृत चेक पोस्ट है, लेकिन वाहनों और लोगों की आवाजाही आसान है। भारत से सीमा पार करने वाले मालवाहक वाहनों की सामान्य जांच के बाद सुरक्षाकर्मी इन्हें सीमा पार करने की मंजूरी दे देते हैं। तस्कर सीमा पार जाने वाले ट्रकों में अवैध सामान छिपा कर ले जाते हैं। बहराइच के कस्बे रुपईडीहा में भारत-नेपाल के बीच भी एक लूप होल सीमा है। लोगों और वाहनों की आवाजाही की जांच के लिए यहां एकीकृत चेक पोस्ट (आइसीपी) है यहां एक बड़ा क्षेत्र खुला है और छोटे वाहन बेरोकटोक आते-जाते हैं। यहां कुछ पॉइंट से गधों की खाल दोपहिया वाहनों या साइकिलों पर नेपाल ले जाई जाती है।

चीन में गधों की तस्करी क्यों?

यूके की संस्था ब्रुक इंडिया ने रिपोर्ट में खुलासा किया कि चीन में महिलाओं की सुंदरता और पुरुषों की मर्दानगी बढ़ाने वाली दवाएं गधों की खाल के जिलेटिन से बनाई जाती है। इसके चलते राजस्थान से हजारों गधों को नेपाल के रास्ते चीन भेजा गया। दवाई की इतनी मांग है कि इसके लिए हर साल दुनिया में 63 लाख से ज्यादा गधों का कत्ल कर दिया जाता है।

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