श्री अन्न योजना:
सरकार ने इस बार मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए अलग से योजना की शुरुआत की है। इसे श्री अन्न योजना नाम दिया गया है। इसके जरिए देशभर में मोटे अनाज के उत्पादन और उसकी खपत को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति के लिए इंस्टीट्यूट्स ऑफ मिलेट्स का गठन करने का ऐलान किया। इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ाने की संभावनाओं पर काम करेगा।
राजस्थान में मोटा अनाज:
देश में राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मोटा अनाज का उत्पादन होता है। इनमें बाजरा, ज्वार, रागी और कोदो की फसल प्रमुख है। राजस्थान में मोटा अनाज में बाजरे की सबसे अधिक खेती होती है। मोटे अनाजों की लिस्ट में बाजरा का नाम सबसे टॉप पर आता है। राजस्थान के जोधपुर में दो से चार फरवरी तक जी-20 सम्मेलन (जी-20 एंप्लॉयमेंट वर्किंग ग्रुप सम्मेलन) का आयोजन किया जाएगा। यहां बाजरा से विशेष रूप से तैयार व्यंजन शेरपाओं और प्रतिनिधियों के लिए परोसे जाएंगे। मोटे अनाज यानी बाजरा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रचार रथ शहर में घूमा। रथ का उद्देश्य जी—20 के प्रचार के अलावा मिलेट (मोटा) अनाज के फायदों की जानकारी लोगों तक पहुंचाना है।
बता दें, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2023 को बाजरा के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित करने के मद्देनजर, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से देश के 20 राज्यों के 30 जिलों में बाजरा महोत्सव की मेजबानी कर रहा है। यह बाजरा के पोषण लाभ, मूल्यवर्धन, खपत और निर्यात क्षमता के बारे में जागरूकता जगाएगा। राजस्थान से जोधपुर और बाड़मेर इनमें शामिल है। मोटे अनाजों में बाजरा किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकता है।
सवाल यह अचानक से मोटा अनाज पर फोकस क्यों?
मिलेट दरअसल मोटे अनाज के लिए एक सामान्य शब्द है। जिसे अक्सर न्यूट्री-अनाज कहा जाता है। इसको जमकर प्रमोट किया जा रहा है। हाल ही संसद में मोटे अनाज के व्यंजन परोसे गए और G 20 के मेहमानों को भी। भारत दुनिया में मिलेट्स का बड़ा उत्पादक है। मोटे अनाज की खेती में कम मेहनत लगती है। पानी की भी कम जरूरत होती है।
यह बिना सिंचाई और बिना खाद के पैदा किया जा सकता है। गौरतलब है मोटे अनाज को ऐसी फसल माना जाता है, जो भविष्य में भोजन, ईंधन, कुपोषण, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करेगी। भारत के प्रस्ताव और 72 देशों के समर्थन के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने बाजरा, ज्वार, कोदो समेत 8 मोटे अनाज को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है।
बीमारियों से बचाएगा मोटा अनाज:
मोटा अनाज पौष्टिक रूप से गेहूं और चावल से बेहतर है। मोटे अनाज से डायबिटीज, कैल्शियम और पोटेशियम से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी-6,फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि से भरपूर इन अनाजों को सुपरफूड भी कहा जाता है। इसमें सॉल्युबल फाइबर के साथ ही कैल्शियम और आयरन की मात्रा अधिक होती है। मोटे अनाज को कुपोषण के खिलाफ लाभकारी माना जाता है।