पत्रिका से बातचीत में उमा ने बताया कि कचरा दो – पौधा लो की थीम के आधार पर उनके नेतृत्व में “जयपुर शेयरिंग फेस्टिवल” चलाया गया, जिसके माध्यम से हजारों जरूरतमंद लोगों को राहत सामग्री प्रदान की गई है । पुलिस विभाग के साथ चलाए जा रहे खाकी वॉरियर्स अभियान का भी वे महत्वपूर्ण हिस्सा है । स्वस्थ भारत के संकल्प को ध्यान में रखकर वे केमिकल युक्त सिंदूर के स्थान पर प्राकृतिक सिंदूर को स्थापित करने के लिए लाखों बीज एकत्रित करके पौधे तैयार करने में संस्थान के अन्य वॉलिंटियर्स की मदद कर रही है।
इसी के अलावा एक निजी संस्थान के 30 वर्षों के इतिहास में उमा व्यास पहली वालंटियर है, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर भारत का नेतृत्व किया। पिछले 30 वर्षों के प्रयासों से अब तक एक करोड़ पौधे लगाने, वितरण करने और बचाने का कीर्तिमान कायम किया है। उमा ने कहा उनका लक्ष्य है कि 2047 तक 5 करोड़ पौधे लगाने का। यह वह समय होगा, जब भारत आजादी के 100 वर्ष पूर्ण कर रहा होगा। व्यास ने कहा इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैं संकल्प-बद्द होकर लगातार महत्वपूर्ण योगदान दे रही हूं । पर्यावरण ही नहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी उमा पीछे नहीं रहे हैं।
उन्होंने बताया शिक्षा से कोसों दूर रहने वाले पश्चिमी राजस्थान के धोरों में जहां बेटियों को पढ़ाना बड़ी बात होती थी, वहां से उन्होंने यहां तक का बहुत ही संघर्ष और साहस भरा सफर तय किया । उमा ने कहा – इन रास्तों में अनेक चुनौतियां भी आई लेकिन मैंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ना ही उचित समझा। उमा को उत्कृष्ट कार्यो के लिए हाल ही में वृक्ष मित्र पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। साथ ही अनेक मंत्रियों और उच्च अधिकारियों ने भी प्रशंसा पत्र देकर उनका मनोबल बढ़ाया है।