निर्धारित मापदंड के तहत स्थानीय स्तर पर ही स्वीकृति मिल जाएगी। शहरों में सामुदायिक सुविधा, शैक्षणिक चिकित्सा सुविधाओं के लिए भू-रूपांतरण और आवंटन की प्रक्रिया भी आसान होगी। निकाय, विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास को भी राज्य सरकार के पास प्रकरण भेजने की जरूरत नहीं रहेगी। अभी तक जयपुर जोधपुर, उदयपुर, भिवाड़ी, पाली पांच बड़े शहरों के अलावा ऐसे सभी काम के लिए लम्बी प्रक्रिया अपनानी पड़ रही है। इससे डवलपमेंट अटका रहता है।
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इस तरह होगी आसानी
शहरों में मास्टर प्लान के क्रियान्वयन, सुनियोजित विकास और आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराने में आसानी होगी।आमजन को भी भू-उपयोग परिवर्तन की विस्तृत प्रक्रिया अपनाने की बंदिश नहीं रहेगी।
न्यूनतम तकनीकी मापदण्डों का निर्धारण किया गया है ताकि उस क्षेत्र का वातावरण प्रभावित नहीं हो।
भू-उपयोग परिवर्तन की विस्तृत प्रक्रिया अपनाए बिना स्थानीय निकाय निर्धारित उपयोग का अनुमोदन कर सकेंगे।