यह मामला है सांगानेरी गेट स्थित महिला अस्पताल का। जहां बच्चा बदलने का विवाद तीन दिन बाद भी नहीं सुलझा है। अस्पताल प्रशासन को जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है। उसके बाद ही इस मामले में ठोस निर्णय लिया जा सकेगा। दूसरी ओर बच्चों के परिजन का रोष बढ़ रहा है।
यह है मामला
अस्पताल की अधीक्षक डॉ. आशा वर्मा ने बताया कि एक सितम्बर को घाटगेट निवासी रेशमा और करौली निवाली निशा की डिलीवरी हुई थी। जिसमें निशा ने पुत्र और रेशमा ने पुत्री को जन्म दिया था। नर्सिंग स्टाफ ने बच्चों को गलत टैग गलत लगा दिए। जिससे बच्चों की अदला बदली हो गए। तीन दिन बाद शनिवार को गलती महसूस होने पर दोनों बच्चों के परिजनों को इसकी सूचना दे दी थी। इससे रेशमा के परिजन आक्रोशित हो गए थे और उन्होंने बच्ची लेने के इनकार कर दिया। जिसके बाद से दोनों बच्चे नर्सरी में रखा गया है।
अस्पताल की अधीक्षक डॉ. आशा वर्मा ने बताया कि एक सितम्बर को घाटगेट निवासी रेशमा और करौली निवाली निशा की डिलीवरी हुई थी। जिसमें निशा ने पुत्र और रेशमा ने पुत्री को जन्म दिया था। नर्सिंग स्टाफ ने बच्चों को गलत टैग गलत लगा दिए। जिससे बच्चों की अदला बदली हो गए। तीन दिन बाद शनिवार को गलती महसूस होने पर दोनों बच्चों के परिजनों को इसकी सूचना दे दी थी। इससे रेशमा के परिजन आक्रोशित हो गए थे और उन्होंने बच्ची लेने के इनकार कर दिया। जिसके बाद से दोनों बच्चे नर्सरी में रखा गया है।
जांच कमेटी गठित
परिजनों की मांग पर छह सदस्यीय एक जांच कमेटी गठित की गई। जिसमें पांच चिकित्सक व एक नर्सिंग अधीक्षक शामिल है। जांच कमेटी ने सोमवार को दोनों यूनिट के चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ के बयान लिए गए हैं। मंगलवार को दोनों नवजात के परिजनों के बयान लिए जाएंगे। इसके बाद कमेटी रिपोर्ट पेश करेगी फिर इस मामले में ठोस निर्णय लेंगे और बच्चे परिजनों को सौंप देगे।
परिजनों की मांग पर छह सदस्यीय एक जांच कमेटी गठित की गई। जिसमें पांच चिकित्सक व एक नर्सिंग अधीक्षक शामिल है। जांच कमेटी ने सोमवार को दोनों यूनिट के चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ के बयान लिए गए हैं। मंगलवार को दोनों नवजात के परिजनों के बयान लिए जाएंगे। इसके बाद कमेटी रिपोर्ट पेश करेगी फिर इस मामले में ठोस निर्णय लेंगे और बच्चे परिजनों को सौंप देगे।
डीएनए जांच की मांग बनेगी परेशानी
चिकित्सकों का कहना है कि अगर परिजन डीएनए जांच की मांग करते हैं तो, परेशानी हो सकती है। क्योंकि इसका प्रोटोकॉल अलग है। जांच की रिपोर्ट आने में भी समय लगता है। इस बीच नवजात मां से अलग ही रहेंगे। अभी भी दोनों को परेशानी हो रही है। इस संबंध में परिजनों से समझाइश भी कर रहे हैं। पीडित रेशमा के परिजन मोहम्मद इरफान का कहना है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की शिकायत विधायक रफीक खान से भी की है। उम्मीद है हमारे साथ गलत नहीं होगा।