रेलवे की ओर से देवगढ़ से मारवाड़ के बीच 52.8 किलोमीटर के ट्रेक को संरक्षित किया जाएगा। इसके सिग्नल सहित अन्य प्रणाली को भी संजो कर रखा जाएगा। रेलवे के स्तर पर अगले चार माह में इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने की तैयारी की जा रही है। रेलवे की ओर से मारवाड़ से मावली रेलखण्ड को बॉडगेज में परिवर्तित किया जाना प्रस्तावित है। इस पुरानी मीटरगेज लाइन पर कामलीघाट से फुलाद तक का ट्रेक शिमला-कालका और दार्जिलिंग रेल लाइन की तरह काफी चढ़ाई और घुमावदार है। साथ ही यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य अभिभूत करने वाला है। हर साल हजारों लोग यहां चलने वाली ट्रेन में सफर कर इस घुमावदार रेलवे ट्रेक, सुरंगों, पहाड़ियों व झरनों आदि का लुत्फ उठाते हैं। खासकर बारिश के दिनों में यहां लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। यहां के नजारे हर किसी को सम्मोहित कर लेते हैं। ऐसे में रेलवे ने इस सेक्शन को हैरिटेज लाइन बनाने का निर्णय किया है। इस योजना के तहत कामलीघाट से फुलाद तक के 30 किलोमीटर रेल लाइन के सेक्शन को मीटरगेज का ही रखा जाएगा। इस सेक्शन को मीटरगेज रखने के साथ ही हैरिटेज के रूप में संरक्षित किया जाएगा। इस सेक्शन में यात्री रेलबस में सफर कर सकेंगे। रेलवे इस रूट पर विस्टाडोम कोच लाने की तैयारी कर रही है। इसमें यात्री सफर के दौरान प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारने के साथ ही फोटोग्राफी का आनंद भी ले सकेंगे।
वादियों का दिखेगा मनोहारी नजारा:
मीटर गेज ट्रेक पर कामलीघाट, गोरमघाट तक मनोहारी छटा है। बारिश के समय यहां झरने बहते हैं। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इसलिए रेलवे की ओर से इसे संरक्षित रखा जाएगा। सीनियर डीसीएम विवेक रावत ने बताया कि यहां रेलबस चलाई जाएगी। डीजल इंजन को स्टीम इंजन का आकार देकर यहां पांच डिब्बों की ट्रेन चलाई जाएगी। स्कूलों के ग्रुप और सैलानियों की आवश्यकता के अनुसार उन्हें रेलबस में सफर कराया जाएगा। लोग रेलबस को बुक भी करवा सकेंगे।
मीटर गेज ट्रेक पर कामलीघाट, गोरमघाट तक मनोहारी छटा है। बारिश के समय यहां झरने बहते हैं। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इसलिए रेलवे की ओर से इसे संरक्षित रखा जाएगा। सीनियर डीसीएम विवेक रावत ने बताया कि यहां रेलबस चलाई जाएगी। डीजल इंजन को स्टीम इंजन का आकार देकर यहां पांच डिब्बों की ट्रेन चलाई जाएगी। स्कूलों के ग्रुप और सैलानियों की आवश्यकता के अनुसार उन्हें रेलबस में सफर कराया जाएगा। लोग रेलबस को बुक भी करवा सकेंगे।
मावली से देवगढ़ का बदलेगा ट्रेक:
रेलवे द्वारा मावली से मारवाड़ के 108.5 किलोमीटर के मीटरगेज ट्रेक का आमान परिवर्तन किया जाना प्रस्तावित है। इसके तहत पहले फेज में मावली से देवगढ़ तक आमान परिवर्तन को स्वीकृति मिल चुकी है। मावली से प्रारंभ होकर यह लाइन थामाला, मोगाना, नाथद्वारा, कांकरोली, कुंआरिया, चारभुजा रोड होते हुए देवगढ़ तक आएगी। देवगढ़ से मारवाड़ तक की लाइन को मीटरगेज ही रखा जाएगा। ऐसे में इस ट्रेक पर विस्टाडोम कोच और रेल बस से सैर कराई जाएगी।
रेलवे द्वारा मावली से मारवाड़ के 108.5 किलोमीटर के मीटरगेज ट्रेक का आमान परिवर्तन किया जाना प्रस्तावित है। इसके तहत पहले फेज में मावली से देवगढ़ तक आमान परिवर्तन को स्वीकृति मिल चुकी है। मावली से प्रारंभ होकर यह लाइन थामाला, मोगाना, नाथद्वारा, कांकरोली, कुंआरिया, चारभुजा रोड होते हुए देवगढ़ तक आएगी। देवगढ़ से मारवाड़ तक की लाइन को मीटरगेज ही रखा जाएगा। ऐसे में इस ट्रेक पर विस्टाडोम कोच और रेल बस से सैर कराई जाएगी।
ऐसा होगा कोच :
मंडल रेल प्रबंधक, अजमेर राजीव धनखड़ ने बताया कि विस्टाडोम कोच विशेष प्रकार के टूरिस्ट कोच होते हैं। उनमें ग्लास की बड़ी खिड़कियां होती है। छत भी पारदर्शी होती है। विस्टाडोम पहाड़ी क्षेत्र से गुजरने वाली ट्रेन में लगाए जाते हैं, जिनका किराया सामान्य दर से अधिक होता है। इनमें एक छोर पर बड़ी खिड़की के साथ ऑब्जर्वेट्री लाउंज भी होता है, जिससे सैलानी ट्रेन चारों ओर का नजारा देख सकते हैं।
मंडल रेल प्रबंधक, अजमेर राजीव धनखड़ ने बताया कि विस्टाडोम कोच विशेष प्रकार के टूरिस्ट कोच होते हैं। उनमें ग्लास की बड़ी खिड़कियां होती है। छत भी पारदर्शी होती है। विस्टाडोम पहाड़ी क्षेत्र से गुजरने वाली ट्रेन में लगाए जाते हैं, जिनका किराया सामान्य दर से अधिक होता है। इनमें एक छोर पर बड़ी खिड़की के साथ ऑब्जर्वेट्री लाउंज भी होता है, जिससे सैलानी ट्रेन चारों ओर का नजारा देख सकते हैं।
पारम्परिक ही रहेंगे सिग्नल:
एडीआरएम संजीव कुमार ने बताया कि यहां सिग्नल सहित रेलवे के सभी सिस्टम को संरक्षित रखा जाएगा। ताकि लोग सुंदर वादियों के साथ-साथ रेलवे की विरासत भी देख सकें।
एडीआरएम संजीव कुमार ने बताया कि यहां सिग्नल सहित रेलवे के सभी सिस्टम को संरक्षित रखा जाएगा। ताकि लोग सुंदर वादियों के साथ-साथ रेलवे की विरासत भी देख सकें।