जयपुर

राजस्थान के इन मारवाड़ियों ने बदल दिया है दुनियाभर में बिजनेस का तरीका, जानिए क्या सीख सकते हैं हम इनसे

दुनिया में मारवाड़ी काराेबारियाें का डंका बजता है। लक्ष्मी मित्तल, कुमार मंगलम बिडला, किशाेर बियानी, अजय पीरामल, राहुल बजाज आदि इनमें शामिल है।

जयपुरNov 02, 2017 / 08:36 am

Santosh Trivedi

जयपुर। पूरी दुनिया में मारवाड़ी काराेबारियाें का डंका बजता है। लक्ष्मी निवास मित्तल, कुमार मंगलम बिडला, किशाेर बियानी, अजय पीरामल आैर राहुल बजाज आदि का नाम इनमें शामिल है। मारवाड़ियों के बिजनेस का तरीका आैर बिजनेस के प्रति उनका लगाव लोगों को प्रोत्‍साहित करता है। मारवाड़ी काराेबारी पैसे का सही प्रबंधन करते हुए लंबे समय के अनुसार सही तरह से निवेश करते हैं। इसके अलावा जिस एंटरप्राइज में उनके शेयर हाेते हैं उसकी वित्तीय स्थिति पर वे पैनी नजर रखते हैं। मारवाड़ी शाॅर्ट टर्म की जगह लाॅन्ग टर्म मुनाफे पर अधिक फाेकस करते हैंं। उन्हें काराेबार में कितना रिटर्न मिल रहा है इसका वे पूरा ध्यान रखते हैं।
 

लक्ष्मी निवास मित्तल
इंसान अपनी मेहनत से फर्श से अर्श तक पहुंच सकता है। इसका जीता जागता उदाहरण हैं लक्ष्मी निवास मित्तल। लक्ष्मी निवास मित्तल का जन्म 2 सितंबर, 1950 को राजस्थान के चुरू जिले की राजगढ़ तहसील में हुआ था। लक्ष्मी मित्तल को दुनिया इस्पात जगत के सबसे सफल आैर बड़े कारोबारी के तौर पर जानती है।
 

मित्तल जितने बड़े उद्योगपति हैं, उतने ही बड़े दिलवाले भी हैं। जरूरत पड़ने पर वो लोगों को करोड़ों रुपए दान कर देते हैं। 2003 में लक्ष्मी निवास मित्तल और उषा मित्तल फाउंडेशन ने राजस्थान सरकार के साथ मिलकर जयपुर में एलएनएम इंस्टिट्यूट आॅफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की स्थापना की। यह एक स्वायत्त और लाभ-निरपेक्ष संस्थान है।
 

2008 में मित्तल ने लंदन स्थित ग्रेट ओरमोंड स्ट्रीट हॉस्पिटल को लगभग डेढ़ करोड़ ब्रिटिश पौंड का चंदा दिया। इस चंदे से अस्पताल में एक नए स्वास्थ्य सुविधा केंद्र की स्थापना हुई। 2015 में उन्हें फोर्ब्स ने सबसे ताकतवर लोगों की सूची में 57वां रैंक दिया। साल 2008 में वे पद्म भूषण से नवाजे जा चुके हैं। मित्तल यूनाइटेड किंगडम में रहते हैं पर उन्होंने भारत की नागरिकता नहीं छोड़ी है।
कुमार मंगलम बिडला
कुमार मंगलम बिड़ला एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति और मशहूर आदित्य बिड़ला ग्रुप के अध्यक्ष हैं। कुमार मंगलम बिड़ला का जन्म 14 जून 1967 राजस्थान के एक मारवाड़ी व्यवसायी बिड़ला परिवार में हुआ था। आदित्य बिड़ला ग्रुप भारत के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है। ग्रासिम, हिंडाल्को, अल्ट्राटेक सीमेंट, आदित्य बिरला नुवो, आइडिया सेल्युलर, आदित्य बिरला रिटेल, आदित्य बिरला मिनिक्स आदि बिड़ला ग्रुप के अंतर्गत आने वाली कंपनियां हैं।
 

कुमार मंगलम बिड़ला Birla Institute of Technology & Science (BITS Pilani) के कुलाधिपति हैं। बिट्स पिलानी घनश्याम दास बिड़ला ने स्थापित की थी। 1995 में अपने पिता आदित्य बिड़ला के अकस्मात् निधन के बाद कुमार मंगलम बिड़ला समूह के अध्यक्ष बनाए गए। उस समय उनकी उम्र केवल 28 साल थी। उस समय लोगों ने इतने बड़े बिड़ला साम्राज्य को चलाने में उनकी काबिलियत पर प्रश्न उठाए पर उन्होंने अपने कौशल, लगन, मेहनत और सोच से न सिर्फ आदित्य बिड़ला समूह को आगे बढ़ाया बल्कि नए क्षेत्रों में भी कंपनी का विस्तार किया। भारत के अलावा आदित्य बिड़ला ग्रुप का कारोबार लगभग 40 देशों में फैला है।
Kumar Mangalam Birla
राहुल बजाज
राहुल बजाज भारत के सबसे सफल उद्योगपतियों में से एक हैं। वे बजाज समूह के अध्यक्ष हैं। राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को बंगाल प्रेसीडेंसी में हुआ था। बजाज व्यवसायिक घराने की नीव राहुल के दादा जमनालाल बजाज ने रखी थी। जमनालाल बजाज का बजाज का जन्म राजस्थान के सीकर जिले में हुआ था। जमनालाल बजाज भारत के एक उद्योगपति, मानवशास्त्री एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे महात्मा गांधी के अनुयायी थे तथा उनके बहुत करीबी व्यक्ति थे।
 

गांधीजी ने उन्हें अपने पुत्र की तरह माना। आने वाली पीढ़ियों ने बजाज घराने के व्यवसाय को आगे बढ़ाया। राहुल बजाज ने 1965 में बजाज समूह की बागडोर संभाली। उनके कुशल नेतृत्व में कंपनी ने सफलता के नर्इ बुलंदियों को छुआ। सन 1980 के दशक में बजाज दो पहिया स्कूटरों का शीर्ष निर्माता था। समूह के ‘चेतक’ ब्रांड स्कूटर की मांग इतनी ज्यादा थी की इसके लिए 10 साल तक का वेटिंग-पीरियड था। राहुल कई कंपनियों के बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। आर्थिक क्षेत्र और उद्योग दुनिया में उनके योगदान के लिए उन्हें भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा (2006-2010) के लिए चुना गया। उनको आईआईटी रुड़की सहित 7 विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई है।
Rahul Bajaj
किशाेर बियानी
किशाेर बियानी फ्यूचर ग्रुप के फाउंडर आैर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ ) हैं। इसके अलावा वे रिटेल बिजनेस Pantaloon Retail and Big Bazaar के फाउंडर है। किशाेर बियानी का जन्म किशाेर का जन्म 9 अगस्त 1961 काे मुंबर्इ में राजस्थान के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। किशाेर के दादा कभी राजस्थान के नागाैर जिले के निम्बी गांव से मुंबई में धोती और साड़ियां का बिज़नेस करने आए थे।
 

किशाेर बियानी हमेशा कुछ अलग करना चाहते थे आैर उन्हाेंने अपने टेलेंट को पहचाना और उसे एक सही दिशा दी। आज उनकी कंपनी पैंटालून पूरी दुनिया में बिजनेस कर रही है। 22 साल की उम्र में किशाेर का विवाह हाे गया। इसी उम्र में उन्हाेंने ट्राउजर बनाने का काम शुरू किया आैर यह चल निकला। 1987 तक नई कंपनी मैंस वियर प्रा. लि. शुरू की। इसमें कपड़े पैंटालून के नाम से बेचे जाते थे। 1991 में उन्हाेंने गाेवा में पेंटालून शॉप शुरू की और 1992 में शेयर बाजार से पैसा जुटाकर ब्रैंड खड़ा कर दिया। तब से यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। किशोर बियानी ने अपने टेलेंट को पहचाना और उसे एक सही दिशा दी। उन्हाेंने खुुद के आत्मविश्वास और मेहनत के बलबूते यह सब हासिल किया।
kishore biyani
अजय पीरामल
अजय पीरामल भारत के सफल उद्योगपतियों में से एक हैं। उनका जन्म 3 अगस्त 1955 काे राजस्थान में हुआ था। वे पीरामल ग्रुप का नेतृत्व करते हैं। अजय पीरामल, टाटा संस बोर्ड के गैर-कार्यकारी निदेशक हैं। वे भारत के अग्रणी उद्योगपतियों, परोपकारी तथा सामाजिक उद्यमियों में से एक हैं। वे हार्वड बिजनेस स्कूल के डीन के एडवाइज़र के बोर्ड में, बॉम्बे हॉस्पिटल के प्रबंधन बोर्ड में शामिल हैं तथा प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी एनजीओ प्रथम के चेयरमैन हैं।
 

पीरामल, व्यापार तथा उद्योग पर प्रधानमंत्री की काउंसिल और वाणिज्य मंत्रालय द्वारा निर्मित व्यापार बोर्ड के सदस्य भी हैं। इसके अलावा वे भारत सरकार की फार्मास्युटिकल्स तथा ज्ञान आधारित उद्योगों पर बनी टास्क फोर्स के सदस्य भी रहे है। इसके अलावा उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक के बोर्ड में 12 वर्ष तक अपनी सेवाएं प्रदान की है। अजय पीरामल ने हार्वर्ड से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम किया है आैर जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से अपनी मास्टर डिग्री हासिल की है। फोर्ब्स ने 2017 में अजय पीरामल की कुल पूंजी 5.6 बिलियन आंकी है।
 

अजय पीरामल चाहते है कि 2020 तक उनकी कंपनी का वार्षिक राजस्व 20 बलियन डाॅलर हाे। इसके लिए वाे पूरी मेहनत कर रहे हैं। 1988 में जब 33 वर्षीय अजय पीरामल ने ऑस्टे्लियार्इ बहुराष्ट्रीय कंपनी निकोलस लैबोरेटरीज को खरीदने का निर्णय लिया। वह कंपनी उस समय भारत से अपना कारोबार समेटने जा रही थी। 55 साल की आयु में अजय पीरामल ने पीरामल हेल्थकेयर के घरेलू फार्मूलेशन कारोबार को अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी एबट को 17,000 करोड़ रुपए में बेच दिया। इतनी बड़ी रकम में कंपनी को बेचकर पीरामल ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया।

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