राजनीति से मोहभंग लेखक अक्षय मुकुल ने कहा कि अज्ञेय किताब भारत की 20वीं सदी की कहानी को एक महाकाव्य के माध्यम से बताती है, जो अक्सर सीधे रास्ते से हट जाती है और एक ऐसी व्यक्तिगत राजनीति पर आकर्षित होती है, जिसपर बाएं और दाएं दोनों तरफ से लगातार हमला किए जाते है। किताब के पात्र अज्ञेय 1942 में फासीवाद विरोधी भावना के प्रदर्शन में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हो गए। अपने पूरे जीवन में नेहरू के प्रशंसक होने के बावजूद उन्हें कांग्रेस की राजनीति से मोहभंग हो गया। लेकिन, अज्ञेय 1970 के दशक में एवरीमैन्स वीकली के संपादक के रूप में सेवा करते हुए जयप्रकाश नारायण के करीब आ गए। उन्होंने हिंदू आध्यात्मिकता और मिथक के साथ-साथ भारतीयों द्वारा अंग्रेजी लेखन को खारिज करने के लिए प्रेरित किया। उपन्यास वे दिन, प्राग में उनके छात्र जीवन की शुरुआत को दर्शाता है। अज्ञेय ने हमेशा लेखन के नए रूपों के साथ प्रयोग करते हुए जापान और बाद में यूरोप और अमेरिका की यात्रा की। नई कहानी वर्मा की देन है और नई कविता अज्ञेय की विरासत है। इन दिग्गजों ने हिंदी साहित्य की दिशा बदल दी।