स्पर्धा में अवनि ने कुल 249.6 का स्कोर बनाया जो की पैरालिंपिक खेलों का नया रिकॉर्ड है। अवनि ने 249.6 पॉइंट हासिल कर यूक्रेन की इरिाना शेटनिक के रिकॉर्ड की बराबरी की है। जीत के साथ ही अवनि पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। चीन की सी झांग (248.9 अंक) ने इस इवेंट का सिल्वर मेडल जबकि यूक्रेन की इरीना स्खेतनिक (227.5 अंक) ने कांस्य पदक अपने नाम किया। Tokyo Paralympics खेलों में ये भारत का पहला स्वर्ण पदक है।
Avani Lekhara इस इवेंट के क्वालिफिकेशन राउंड में 7वें स्थान पर रही थीं। फाइनल में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और गोल्ड मेडल जीता। नौ राउंड के इस फाइनल मुकाबले में अवनि को चीनी एथलीट सी झांग से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा। झांग ने क्वॉलिफिकेशन राउंड में टॉप पोजिशन हासिल की थीं और वो इस मुकाबले में गोल्ड की प्रबल दावेदार थीं। हालांकि अवनि ने अपने अचूक निशानों के दम पर झांग को मात देकर गोल्ड अपने नाम कर लिया।
19 साल की अवनि राजस्थान की राजधानी जयपुर की रहने वाली हैं। उनके पिता का नाम प्रवीण लेखरा और मां का नाम श्वेता लेखरा है। प्रवीण लेखरा ने कहा कि उन्हें पक्का यकीन था कि बेटी अवनि मेडल जीतकर लाएगी, लेकिन स्वर्ण पदक जीतने के बाद हम बहुत खुश हैं। अवनी के पिता प्रवीण लेखरा ने बताया कि 2012 में वह धौलपुर में कार्यरत थे। उसी दौरान जब वह जयपुर से धौलपुर जा रहे थे तो सड़क दुर्घटना में पिता-पुत्री दोनों घायल हो गए। प्रवीण लेखरा तो कुछ समय बाद स्वस्थ हो गए लेकिन अवनी को तीन महीने अस्पताल में बिताने पड़े फिर भी रीड की हड्डी में चोट के कारण वह खड़े होने और चलने में असमर्थ हो गई।
प्रवीण लेखरा ने बताया कि इसके बाद वह बहुत निराशा से भर गई और अपने आप को कमरे बंद कर लिया। माता-पिता के सतत प्रयासों के बाद अवनी में आत्म विश्वास लौटा और अभिनव बिन्द्रा की बायोग्राफी से प्रेरणा लेकर वह निशानबाजी करने लगी। अवनी ने पत्रिका से बातचीत में कहा था कि एक्सीडेंट के बाद उनके पिताजी ने उन्हें अभिनव बिन्द्रा की बायोग्राफी लाकर दी। उससे उनकी निशानेबाजी में रुचि जगी और वह घर के पास में ही स्थित शूटिंग रेंज पर जाकर अभ्यास करने लगी। उन्होंने बताया कि कोच के निर्देशन के अनुसार अभ्यास करने के साथ मैंने अपना शत-प्रतिशत देना शुरू किया तो मुझे सफलताएं मिलती चली गईं।