यह भी पढें : जयपुर और हरियाणा के व्यापारियों को तोहफे में दी रेव पार्टी! नेशनल टाइगर कनसरवेजन ऑथीरिटी (एनटीसीए) के अनुसार 2011 से 20 सितम्बर तक 489 टाइगर की मौत हुई है। इनमें से 233 टाइगर की मौत के कारणों का अध्ययन एनटीसीए ने किया। जिसमें मौत का सबसे बड़ा टाइगर का आपसी संघर्ष सामने आया। इस दौरान करीब 72 टाइगर की मौत का कारण हैबीटेट को लेकर दूसरे टाइगर से झगड़े के दौरान हुई है। राजस्थान में करीब चार टाइगर की मौत संघर्ष के चलते हो चुकी है। इनमें भी तीन टाइगर की मौत एक वर्ष से कम अवधि में हुई है।
यह भी पढें : फर्जी हथियार लाइसेंस प्रकरण : ऑपरेशन जुबैदा में एटीएस के रडार पर जम्मू-कश्मीर गृह विभाग के कर्मचारी टाइगर बढ़े, उनके लिए जंगल नहींरणथंभौर टाइगर रिजर्व समेत देश के लगभग सभी जगह टाइगर की आबादी बढ़ी, लेकिन उनके लिए आरक्षित जंगल नहीं बढ़ सके। भारतीय वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार देशभर में 2200 से अधिक टाइगर है। रणथंभौर समेत देशभर के टाइगर रिजर्व में टाइगर की संख्या के मुकाबले उनके लिए जंगल कम है। वर्तमान में रणथंभौर में नर-मादा और शावक टाइगर करीब 60 से अधिक है।
यह भी पढें : जिन कर्मचारियों के घर में शौचालय नहीं, उनका रुकेगा वेतन गलियारे बचाने की आवश्यकता जानकारों के अनुसार टाइगर की आबादी को संरक्षित करने के लिए इनके बीच प्रतिस्पर्धा कम करने पर जोर देना चाहिए। इसके लिए टाइगर के आवासों को जोडऩे वाले गलियारों को बचाने की आवश्यकता है। साथ ही मानवीय दखल कम करने के लिए गांवों के शिफ्ट करने का काम तेज करने का सुझाव दिया है।
यह भी पढें : इस बार जयपुर में दीवाली पर कम नजर आएंगी पटाखों की दुकानें! इधर, टी-33 की मौत की उच्चस्तरीय जांच की मांगपीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने राष्ट्रीय टाईगर प्रोजेक्ट चेयरमेन एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर टाइगर टी-33 की मौत की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने बताया कि भूखा रहने के दौरान उसको ट्रेंकुलाईज कर जाइले-जिन इंजेक्शन अधिक मात्रा में लगा दिया, जिससे टाइगर की मृत्यु हुई है।