जयपुर। बीसलपुर बांध के लबालब होने और गेट खुलने का समय आ गया है। बांध में बहुत तेजी से पानी की आवक जारी है। अगले 48 घंटे के अंदर बांध के गेट खोलने को लेकर अब किसी भी समय सायरन बज सकता है। इधर बांध से जुड़े अधिकारी भी अलर्ट मोड़ में आ गए हैं। बांध में गुरुवार सुबह छह बजे तक 315.08 आरएल मीटर का आंकड़ा पार कर गया। अब बांध मात्र 42 सेंटीमीटर से भी कम खाली रहा है। 92.38 फीसदी से अधिक बांध भर गया है। त्रिवेणी 4.10 मीटर के गेज के साथ बह रही है।
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त्रिवेणी नदी का गेज बुधवार को 3.50 – 4.10 मीटर रहा। बुधवार सुबह छह बजे त्रिवेणी का गेज 3.50 मीटर था, वहीं देर रात 4.10 मीटर गेज रहा। इसका असर यह हुआ कि बीसलपुर बांध में पानी की आवक अच्छी खासी हो गई। पिछले चौबीस घंटे में बांध में कुल 26 सेंटीमीटर से भी अधिक पानी आ गया है। गुरुवार छह बजे तक बांध का जलस्तर 315.08 आरएल मीटर को भी पार कर गया। अब बांध में मात्र 42 सेंटीमीटर से कम रह गया है।
त्रिवेणी नदी का गेज बुधवार को 3.50 – 4.10 मीटर रहा। बुधवार सुबह छह बजे त्रिवेणी का गेज 3.50 मीटर था, वहीं देर रात 4.10 मीटर गेज रहा। इसका असर यह हुआ कि बीसलपुर बांध में पानी की आवक अच्छी खासी हो गई। पिछले चौबीस घंटे में बांध में कुल 26 सेंटीमीटर से भी अधिक पानी आ गया है। गुरुवार छह बजे तक बांध का जलस्तर 315.08 आरएल मीटर को भी पार कर गया। अब बांध में मात्र 42 सेंटीमीटर से कम रह गया है।
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बांध के गेट खुलने को लेकर चार जिलों की जनता ही खुश नहीं है, बल्कि बांध के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी अलग तरह की खुशी झलक रही है। बांध के गेट खुलने को वे त्योहार से कम नहीं मान रहे हैं। बीसलपुर बांध के पूर्ण जलभराव होकर छलकने के बाद निकटवर्ती राजमहल कस्बे में उत्सव मनाया जाता है। जो पूर्ण जलभराव के करीब पहुंचने से लोगों ने इस उत्सव की तैयारी शुरू कर दी है। लोगों ने बताया कि इस दौरान प्रत्येक घर में चूरमा बाटी बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। वहीं गांव में मेले का आयोजन होता है। जिसमें निकटवर्ती सहित दूर दराज से लाखों की संख्या में लोग शामिल होते हैं।
बांध के गेट खुलने को लेकर चार जिलों की जनता ही खुश नहीं है, बल्कि बांध के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी अलग तरह की खुशी झलक रही है। बांध के गेट खुलने को वे त्योहार से कम नहीं मान रहे हैं। बीसलपुर बांध के पूर्ण जलभराव होकर छलकने के बाद निकटवर्ती राजमहल कस्बे में उत्सव मनाया जाता है। जो पूर्ण जलभराव के करीब पहुंचने से लोगों ने इस उत्सव की तैयारी शुरू कर दी है। लोगों ने बताया कि इस दौरान प्रत्येक घर में चूरमा बाटी बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। वहीं गांव में मेले का आयोजन होता है। जिसमें निकटवर्ती सहित दूर दराज से लाखों की संख्या में लोग शामिल होते हैं।
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दिनांक और समय | जल स्तर (मीटर में) |
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4 सितम्बर, सुबह 6 बजे | 314.82 |
4 सितम्बर, सुबह 10 बजे | 314.85 |
4 सितम्बर, दोपहर 12 बजे | 314.86 |
4 सितम्बर, दोपहर 2 बजे | 314.88 |
4 सितम्बर, अपरान्ह 4 बजे | 314.90 |
4 सितम्बर, शाम 6 बजे | 314.92 |
4 सितम्बर, रात्रि 8 बजे | 314.94 |
4 सितम्बर, रात्रि 10 बजे | 314.98 |
5 सितम्बर, सुबह 6 बजे | 315.08 |
बांध की भराव क्षमता | वर्तमान जल स्तर | बांध में खाली जगह |
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315.50 मीटर | 315.08 मीटर | 0.42 मीटर |