‘मेरी पढ़ाई के लिए मां ने छोड़ी नर्स की जॉब’
जयपुर की जाह्नवी ने बताया कि किसी भी एग्जाम को क्रैक करने के लिए खुद पर भरोसा होना चाहिए। हम मेहनत के दम पर कुछ भी हासिल कर सकते हैं। सेल्फ कॉन्फिडेंस न होने की वजह से पिछली बार सफलता हासिल नहीं कर पाई थी। यह मेरा सेकेंड अटैम्प था, पहले अटैम्प में 576 अंक हासिल किए थे। इस बार बिना प्रेशर के सटीक प्लान के साथ कड़ी मेहनत की और सफलता का परचम लहराया। इस बार पहले से ज्यादा सेल्फ कॉन्फिडेंस था। मां पहले नर्स की जॉब करती थी, उन्होंने मेरी स्टडी की वजह से जॉब छोड़ दी। पिताजी ईंट का बिजनेस करते हैं, उन्होंने बहुत सपोर्ट किया। जाह्नवी ने बताया कि उन्होंने मां से सेल्फ कॉन्फिडेंस और पिता से हार्ड वर्क करना सीखा है। कोचिंग के नोट्स और एनसीईआरटी बुक्स से स्टडी की। टेस्ट पेपर में कम अंक आने पर टीचर्स ने मोटिवेट किया।
‘ईमानदारी से जीना ही मेरा ड्रीम’
जयपुर के शशांक शर्मा ने बताया कि दो साल तक स्टडी से ब्रेक नहीं लिया था। कंस्सटेंसी के साथ स्टडी की। छोटे-छोटे ब्रेक लेकर जब तक इच्छा होती थी, तब तक स्टडी करता था। उम्मीद नहीं थी ऑल इंडिया रैंक फर्स्ट रैंक हासिल करूंगा। एग्जाम में अपना बेस्ट दिया और अच्छा रिजल्ट मिल गया। पेरेंट्स ने कभी प्रेशर नहीं बनाया कि कितने नंबर लाने हैं। पेरेंट्स मोटिवेट करते थे। पिता राजेश कुमार शर्मा एसएसएस में डॉक्टर हैं। मां सिंधु सुधा गोयल भी डॉक्टर हैं। एनसीईआरटी के साथ जेईई का भी मेटर पढ़ा। फिजिक्स में थ्योरी, नोट्स और क्यूशन पर सबसे ज्यादा फोकस किया। ऑल ऑवर तैयारी के लिए एक्सट्रा बुक्स भी पढ़ी थी। ईमानदारी से जीना ही मेरा ड्रीम है।