नगर निगम और जेडीए को शहर के अन्य आबादी क्षेत्र में भी इसी तरह का कॉरिडाेर बनाने की जरूरत है, तभी लोगों को सड़क पर ऑक्सीजन लेवल बढ़ा हुआ मिल सकेगा। झोटवाड़ा रोड पर पानीपेच से विज्ञान पार्क होते हुए पीतल फैक्ट्री तक 3 किमी रूट शामिल है। यहां करीब आधे हिस्से में काम हुआ है। मीडियन और सड़क के दोनों ओर ग्रीन कॉरिडोर में सिंचाई के लिए भी वॉल्व तकनीक बनाई गई है।
पुणे और रायपुर दोनों जगह स्मार्ट रोड को इसी तर्ज पर विकसित किया गया है। यहां न केवल राहगीरों की संख्या बढ़ी है, बल्कि बतौर ऑक्सीजोन की तरह काम कर रहा है। इसी तरह जयपुर में भी आबादी क्षेत्र से जुड़ी सड़कों पर यह डवलपमेंट हो तो बात बने।