चिकित्सालय से जुड़े डॉ रमेश चंद्र वर्मा बताते है कि जब पक्षीयों को चिकित्सालय लाया जाते है तो सर्वप्रथम पक्षियों को पिंजरों में रखा जाता है औऱ उनकी पूरी तरह से देखभाल की जाती हैं। लेकिन जब 3 दिन बाद पक्षी की सेहत में सुधार होता है तो उसके बाद उसे रिकवरी वार्ड में रखा जा जाता है जिसमें भी पक्षियों के खानें और पीने की व्यवस्था रखी जाती हैं। रिकवरी वार्ड में एक खिड़की बनी हुई जिससे पक्षी पुर्णत ठीक होने के बाद वहां से आसमान में उड़ान भर सकता है।
वर्मा बताते है कि ईगल जैसी मांशहारी पक्षियों को मांश नही दिया जाता है। उसकी जगह उनकों सेहत अनुसार शाकाहारी खाना ही दिया जाता है। संस्थान मांशहारी खाने के शक्त खिलाफ है इसीलिए माशंहारी पक्षियों को भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज आधारीत शाकाहारी खाना खिलाया जाता हैं।
वर्मा यह भी बताते है कि पक्षियों के शरीर पर टाके देने से उनकी सेहत ज्यादा बिगड़ सकती है। दरअसल जब पक्षी उड़ने के लिए पंख फडफड़ा है तो उसके शरीर पर लगाए गए टांकों की वजह से घाव ज्यादा बढ़ सकता हैं। इसीलिए पक्षियों को दवा लगाकर ही घावों को ठीक करना चाहिए।
वर्मा बताते है कि मकर सक्रांति के समय घायल पक्षियों के ज्यादा केस देखने को मिलते है। रोज 400 से 500 पक्षी चाइनीज मांझे का शिकार होते हैं और चिकित्सालय लाए जाते हैं। जनवरी की शुरुआत से ही घायल पक्षियों की संख्या अचानक बढ़ने लगती हैं। पहले जहां घायल पक्षियों की संख्या सौ से भी नीचे आती हैं दूसरी तरफ मकर सक्रांति के समय इनकी संख्या 400 के पार पहुंच जाती हैं।