याचिका के अनुसार, कुछ अभ्यर्थियों के परीक्षा में शत-प्रतिशत 720 अंक आए, जबकि एक प्रश्न चार अंक का होने के बावजूद कुछ अभ्यर्थियों के 719 अंक आए। इससे परीक्षा परिणाम संदेह के दायरे में है। याचिकाकर्ता का परीक्षा केन्द्र विद्याश्रम स्कूल में था और उसे आधा घंटा देरी से प्रश्न पत्र मिला। कई परीक्षा केन्द्रों पर प्रश्न पत्र देरी से मिलने के कारण अभ्यर्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। याचिकाकर्ता को ग्रेस मार्क्स दिलाने की गुहार की गई है।
उठने लगी नीट परीक्षा निरस्त करने की मांग
नीट यूजी 2024 के परिणाम में खामियों पर एनटीए की और से दो बार स्पष्टीकरण देने के बावजूद कोटा समेत देशभर में नीट परीक्षा निरस्त करने की मांग जोर पकड़ रही है। कोटा में न्यू कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के सदस्यों व नीट परीक्षा में शामिल स्टूडेंट्स ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति के नाम एडीएम को ज्ञापन देकर परीक्षा निरस्त करने की मांग उठाई। महासचिव राजीव कुमार ने बताया कि एनटीए की ओर से 5 मई को नीट यूजी 2024 परीक्षा आयोजित की गई थी, उसका पेपर 4 मई को रात को लीक हो गया और काफी लोगों के पास इसकी प्रतिलिपि है। उसके बाद इस पेपर का रिजल्ट जारी किया गया। उधर, एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि एजेंसी की ओर से जारी स्पष्टीकरण के अनुसार, 1563 विद्यार्थियों को परीक्षा के दौरान व्यवधान उत्पन्न होने से नष्ट हुए समय को कंपेनसेट करने के लिए कंपेनसेटरी मार्क्स जारी किए गए। इन्हीं कंपेनसेटरी मार्क्स के कारण 6 अतिरिक्त विद्यार्थियों को परफेक्ट स्कोर 720/720 प्राप्त हुआ। प्रोविजनल उत्तर तालिकाओं पर 13373 आपत्तियां दर्ज की गई।
नीट यूजी में ग्रेस मार्क्स देने पर एनटीए से किया जवाब तलब
देशभर के मेडिकल कॉलेज प्रवेश के लिए आयोजित नीट यूजी के परीक्षा परिणाम मे ग्रेस मार्क्स देने का मामला दिल्ली और कोलकाता हाईकोर्ट पहुंच गया है। दिल्ली हाईकोर्ट में श्रेयांसी ठाकुर नाम की छात्रा ने याचिका दाखिल कर राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के ग्रेस मार्क्स देने के फैसले को मनमाना बताते हुए इसे चुनौती दी है। अगली सुनवाई बुधवार को होगी। नीट यूजी में इस साल 67 छात्रों को पहली रैंक मिली है। याचिका में कहा गया कि एनटीए के ग्रेस अंक देने के निर्णय से हजारों विद्यार्थी प्रभावित हो रहे है। एनटीए का निर्णय उन अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव करता है, जिन्होंने परीक्षा के नियमों का पालन किया। यह हजारों अभ्यर्थियों के अधिकारों का उल्लंघन है।