जयपुर

आपकी सुविधाओं के मास्टर प्लान की उड़ाई धज्जियां, अब ला रहे नया ‘विजन’

Master Plan

जयपुरJun 07, 2022 / 07:09 pm

Bhavnesh Gupta

आपकी सुविधाओं के मास्टर प्लान की उड़ाई धज्जियां, अब ला रहे नया ‘विजन’

जयपुर। मौजूदा मास्टर प्लान की अक्षरश: पालना कराने में फेल सरकार अब जयपुर में नया मास्टर तैयार करने में जुटी है। इसके लिए मुख्य नगर नियोजक सहित अन्य विशेषज्ञों को जिम्मेदारी दी जा चुकी है, जो पहले मौजूदा मास्टर प्लान की समीक्षा करेंगे और फिर नए मास्टर प्लान का स्वरूप तय होगा।
गंभीर यह है कि लोगों की सहुलियत और सुनियोजित विकास के लिए मौजूदा मास्टर प्लान में किए गए वादे ही अभी तक पूरे नहीं किए गए। इसमें रीजनल पार्क, सेटेलाइट टाउन, ट्रेफिक ट्रांसपोर्ट मोबिलिटी प्लान सहित अन्य बड़े काम शामिल हैं। इस मास्टर प्लान को लागू हुए 11 साल बीत चुके हैं, लेकिन कागजों से बाहर नहीं निकल पाए। ऐसे हालात के लिए किसी की भी जिम्मेदारी तय नहीं की गई।
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1. सेटेलाइट टाउन : शहरी क्षेत्र में आबादी का बोझ कम करने के लिए बड़े कस्बों को ही छोटे शहर के रूप में विकसित करने के लिए सेटेलाइट टाउन कंसेप्ट लाया गया। 11 सेटेलाइट टाउन और 4 ग्रोथ सेंटर के लिए छोटे शहर, कस्बे चिन्हित किए गए। मकसद था कि रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, बड़े पार्क, शॉपिंग सेंटर, मॉल्स व अन्य जुड़ी सुविधा वहीं मिले। स्थानीय लोगों को व्यापार, चिकित्सा, पढ़ाई के लिए शहरों की तरफ मुंह नहीं ताकना पड़े।
2. रीजनल पार्क : हरियाली का दायरा बढ़ाने के लिए शहर और बाहरी इलाकों में 6 बड़े रीजनल पार्क विकसित करने के लिए कागजों में जमीन चिन्हित की। किशनबाग, सिलवन पार्क विकसित करने के अलावा कुछ हनीं किया। बाकी के लिए जमीन अवाप्त तक नहीं की जा सकी। केवल सिटी लेवल और कॉलोनी स्तर पर पार्क बनाकर जिम्मेदारी पूरी कर ली, वह भी कुछ एक इलाकों तक ही सीमित रहा।
3. मास्टर ड्रेनेज, सीवरेज प्लान : सम्पूर्ण शहर का ड्रेनेज व सीवरेज का मास्टर प्लान बनाने काम केवल कागजों में सीमित रहा। जबकि, अध्ययन रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया गया था कि शहर के 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सों में जल भराव हो रहा है, जो गंभीर स्थिति है। इसमें तत्काल सुधार की जरूरत है। इसके बावजूद किश्तों में ही ड्रेनेज नेटवर्क का जाल बिछाने का काम चलता रहा।
4. ट्रेफिक-ट्रांसपोर्ट मोबिलिटी प्लान : सड़क पर वाहनों की बढ़ती संख्या को कंट्रोल करने और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने का यह प्लान भी कागजों में सिमटकर रह गया। इसके लिए सड़कों की 4123 किलोमीटर लम्बाई नापी। वाहनों के कारण सिकुड़ते फुटपाथ और सार्वजनिक परिवहन के गिरते ग्राफ ने चिंता बढ़ा दी।

इन पर भी ध्यान नहीं
-सभी जगह सेक्टर रोड नहीं बनाई गई, जिससे एक इलाके को दूसरे इलाके से जोड़ा नहीं जा सका।
-रिंग रोड की ‘रिंग’ पूरी नहीं की जा सकी है। केवल आगरा रोड से अजमेर रोड के बीच ही रिंग रोड बनाई जा सकी है।
-आबादी क्षेत्र के पास बने औद्योगिक क्षेत्र को दूसरी जगह शिफ्ट करना।

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