तकनीकी कर्मचारियों के साथ कनिष्ठ व सहायक अभियंताओं की फिलहाल 15 दिन के लिए नियुक्ति आदेश जारी किए हैं। इन जीएसएस से करीब 50 तहसीलों में बिजली सप्लाई की जा रही है। यहां लाखों आवासीय व कॉमर्शियल कनेक्शन के साथ-साथ बड़ी संख्या में कृषि कनेक्शनधारी भी हैं। यदि जीएसएस को संभालने में थोड़ी भी काेताही बरती जाती है तो बिजली संकट की आशंका बनेगी। इस बीच निगम ने इन 92 जीएसएस को भी फिर से ठेके पर देने की तैयारी शुरू कर दी है। इस मामले में वास्तविक स्थिति जानने के लिए प्रसारण निगम के मुख्य अभियंता एवं निदेशक ऑपरेशन सुरेश मीना को कॉल और मैसेज किए, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।
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सवाल- पुख्ता बैकअप प्लान क्यों नहीं?
कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकारों में जीएसएस को ठेके पर देने का काम हुआ। यह स्थिति नई नहीं है, लेकिन पुख्ता बैकअप प्लान नहीं होने से सवाल खड़े हो रहे हैं। अफसरों को शुरुआती दौर में आभास ही नहीं हुआ कि कंपनी अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। जब जीएसएस पर कंपनी के कर्मचारी नहीं पहुंचे तो खलबली मची। यह भी पढ़ें