जयपुर. निजी स्कूलों में शिक्षा का कारोबार रोकने के लिए राज्य सरकार फिर कानून ला रही है। अब फीस तय करने के लिए राज्य स्तरीय स्वतंत्र समिति के बजाय अभिभावकों की समिति बनेगी और इसके ऊपर संभाग और राज्य स्तरीय समितियां होंगी। समितियों का फैसला नहीं मानने पर संस्था प्रधानों पर 50 हजार से ढाई लाख तक का जुर्माना लगेगा। शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने सोमवार को विधानसभा में राजस्थान विद्यालय (फीस विनियमन) विधेयक- 2016 पेश किया। अब संभाग स्तर पर फीस विनियामक समिति और अंतिम निर्णय के लिए राज्य स्तरीय पुनरीक्षण समिति होगी।
नए कानून के तहत शिक्षा सत्र शुरू होते ही स्कलों में अनिवार्य रूप से अध्यापक-अभिभावक एसोसिएशन बनेगी। स्कूल की समिति में लॉटरी के माध्यम से अभिभावकों के प्रतिनिधि सदस्य चुने जाएंगे।
राजस्थान पत्रिका ने फीस में मनमानी बढ़ोतरी को लेकर ‘विद्या का व्यापार ‘अभियान शीर्षक से श्रंखलाबद्ध समाचार प्रकाशित किए और शुक्रवार को ‘स्कूल फीस में फिर मनमानी बढ़ोतरी’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया। इसके बाद विधानसभा में यह मुद्दा उठाया गया, जिस पर शिक्षा राज्य मंत्री ने आश्वस्त किया था कि फीस नियंत्रण के लिए जल्द नया कानून लाया जाएगा।
मनमानी फीस वसूली, हरकत में आई सरकार
निजी स्कूलों में शिक्षा देने के नाम पर मनमाने तरीके से फीस वसूली पर नियंत्रण रखने के लिए राज्य सरकार एक बार फिर कानून ला रही है। शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने सोमवार को विधानसभा में राजस्थान विद्यालय (फीस का विनियमन) विधेयक- 2016 पेश किया। इस बारे में सोमवार को विधेयक पेश कर दिया। आज बहस होगी। दरअसल राजस्थान पत्रिका ने फीस में मनमानी बढ़ोतरी पर ‘विद्या का व्यापार’ अभियान शीर्षक से कई समाचार प्रकाशित किए। विधानसभा में यह मुद्दा उठा। शिक्षा राज्य मंत्री ने निजी स्कूलों में फीस नियंत्रण के लिए जल्द कानून का आश्वासन दिया।
इधर, विरोध शुरू
नए विधेयक के कानून बनने पर करीब ढाई साल पहले लागू किया गया राजस्थान विद्यालय (फीस के संग्रहण का विनियमन) अधिनियम 2013 निरस्त हो जाएगा। पिछले कानून का पुरजोर विरोध कर रहे निजी स्कूल संचालकों ने विधेयक का विरोध भी शुरू कर दिया है। मौजूदा कानून के तहत राज्य स्तरीय फीस समिति ने 35 बैठकें कर निजी स्कूलों की फीस तय की है। समिति के खिलाफ स्कूल संचालक हाइकोर्ट में गए हुए हैं। विधेयक पेश करते हुए स्पष्ट किया गया है कि 2013 के अधिनियम के तहत राज्य स्तरीय समिति बड़ी संख्या में विद्यालयों का फीस निर्धारण समय पर नहीं कर सकती है।
स्कूलों में समिति
अध्यक्ष : निजी स्कूल के प्रबंधन का प्रतिनिधि, सचिव : निजी स्कूल का प्रधानाचार्य, सदस्य : स्कूल प्रबंधन के नामित तीन अध्यापक, सदस्य : अध्यापक संगम से नामित पांच माता-पिता
संभाग स्तरीय फीस समिति
प्रत्येक राजस्व खंड के लिए समिति गठित होगी। खंड आयुक्त अध्यक्ष होंगे। उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा सदस्य होंगे। संस्कृत शिक्षा निदेशक का मनोनीत प्रतिनिधि, राजस्व खंड मुख्यालय पर स्थित जिला कोष का कोषाधिकारी, उपनिदेशक प्रारम्भिक शिक्षा पदेन सदस्य, दो निजी विद्यालयों के प्रतिनिधि और दो अभिभावक जिन्हें खंड आयुक्त नामित करेंगे।
राज्य स्तरीय पुनरीक्षण समिति
अध्यक्ष : प्रारम्भिक शिक्षा सचिव
सदस्य : माध्यमिक शिक्षा सचिव, माध्यमिक और प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक, संस्कृत शिक्षा निदेशक, सरकार से नामित दो निजी स्कूल प्रतिनिधि और दो अभिभावक प्रतिनिधि, शिक्षा विभाग का लेखाधिकारी, शिक्षा विभाग के उपसचिव पदेन सदस्य होंगे।
कैसे करेगी काम
सत्र शुरू होते ही 30 दिन में संस्था प्रधान को अभिभावक-अध्यापक एसोसिएशन का गठन करना होगा। इसमें सभी अभिभावक और शिक्षक अनिवार्य रूप से सदस्य होंगे। गांवों में 20 और नगरीय क्षेत्र में 50 वार्षिक शुल्क लिया जाएगा। 15 अगस्त तक एसोसिएशन की बैठक होगी। स्कूल फीस समिति गठित में अभिभावकों को शामिल करने के लिए इच्छुक अभिभावकों की लॉटरी निकाली जाएगी।
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