जानकारी के अनुसार गरीबों के घरों से एक बार फिर चूल्हे का धुआं उठने लगा है। बढ़ती महंगाई से परेशान महिलाओं ने उज्ज्वला गैस चूल्हों को एक तरफ करके मिट्टी के चूल्हों पर ही भोजन बनाना शुरू कर दिया है। लगातार महंगे होते सिलेंडर के कारण एक लाख से ज्यादा उपभोक्ता दोबारा गैस रिफिल नहीं करवा रहे हैं। वे लकड़ी, कंडे के इस्तेमाल की ओर बढ़ गए हैं। सरकार ने महिलाओं को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने गैस कनेक्शन दिए थे, लेकिन बढ़ती महंगाई ने उन्हें फिर से उसी धुएं में धकेल दिया है।
सब्सिडी बंद तो भारी पडऩे लगे सिलेंडर
सब्सिडी बंद तो भारी पडऩे लगे सिलेंडर
गैस एजेंसी संचालकों का कहना है कि पिछले कुछ माह से गैस सिलेंडरों की बिक्री में बड़ी गिरावट आई है। जितने लोगों ने उज्ज्वला के तहत कनेक्शन लिए थे उनमें से कुछ ही लोग साल में एक या दो बार ही सिलेंडर ले रहे हैं। दो साल पहले तक 280 रुपए तक सब्सिडी मिल जाती थी तब तक सिलेंडर भरवा रहे थे, लेकिन अब वह भी बंद हो गई। वहीं सिलेंडर एक हजार रुपए के ऊपर पहुंच गया है। इसलिए गरीब तबका सिलेंडर से दूरी बना रहा है।
लकड़ियों पर लौटे
बताया जा रहा है कि इन दिनों हालात ऐसे हो चले हैं कि गरीब परिवार टाल से हर दूसरे दिन तीस रुपए में पांच किलो लकड़ी खरीद रहे हैं। लकडिय़ों पर माह में 300 से 400 रुपए खर्च होते हैं जबकि एक हजार का सिलेंडर उनके बूते में नहीं। इसलिए अब एक समय का भोजन चूल्हे पर ही पकाया जा रहा है।
लकड़ियों पर लौटे
बताया जा रहा है कि इन दिनों हालात ऐसे हो चले हैं कि गरीब परिवार टाल से हर दूसरे दिन तीस रुपए में पांच किलो लकड़ी खरीद रहे हैं। लकडिय़ों पर माह में 300 से 400 रुपए खर्च होते हैं जबकि एक हजार का सिलेंडर उनके बूते में नहीं। इसलिए अब एक समय का भोजन चूल्हे पर ही पकाया जा रहा है।
सस्ता क्या है?
इस समय बाजार में सस्ता क्या है, सरकार को यह बताना चाहिए। गैस सिलेंडर महंगा होने से घर के बजट पर असर पड़ेगा, जेब पर और खर्चा बढ़ेगा। सरकार लगातार रसोई गैस के दाम बढ़ाकर लोगों का दम निकालने में लगी है। इस समय महंगाई से घर चलाना मुश्किल हो रहा है, अब गैस पर रेट बढ़ गए।
पूनम कंवर, गृहिणी
इस समय बाजार में सस्ता क्या है, सरकार को यह बताना चाहिए। गैस सिलेंडर महंगा होने से घर के बजट पर असर पड़ेगा, जेब पर और खर्चा बढ़ेगा। सरकार लगातार रसोई गैस के दाम बढ़ाकर लोगों का दम निकालने में लगी है। इस समय महंगाई से घर चलाना मुश्किल हो रहा है, अब गैस पर रेट बढ़ गए।
पूनम कंवर, गृहिणी