जयपुर की वॉल सिटी इलाके में स्थित मूर्ति बाजार देश ही नहीं दुनिया भर में मूर्तियों का सबसे बड़ा बाजार हैं जयपुर के बाद उदयपुर का नंबर आता है। उसके बाद कई शहरों में छोटे स्तर पर भी मूर्तियों का निर्माण होता है। राजस्थान के अलावा एमपी के जबलपुर में भी मार्बल की मूर्तियों का काम है। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी मूर्तियों का काम होता है, लेकिन बेहद कम। अधिकतर राज्यों में तैयार माल ही एक्सपोर्ट होता है।
मूर्ति बाजार जयपुर के निलेश महेश्वरी ने बताया कि साठ सालों से मूर्तियों का कारोबार कर रहे हैं। ऐसी तेजी आज तक नहीं देखी गई। सबसे ज्यादा डिमांड में माता सीता और श्रीराम हैं। आधा फीट की मूर्तियों से लेकर आदमकद मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। आधा फीट से करीब डेढ़ फीट तक की मूर्तियों लोग घरों और छोटे मंदिरों के लिए ले जा रहे हैं। उसके अलावा चार फीट से छह फीट तक की मूर्तियां बड़े मंदिरों के लिए जा रही हैं। 18 घंटे तक काम हो रहा है कारखानों में। अधिकतर दुकानों पर तो माल ही खत्म हो चुका। मूर्तियों की कीमत तीस हजार रूपए से लेकर पांच लाख रुपए तक है। इससे बड़ी मूर्तियां दस लाख तक में भी जा रही हैं। यूपी, एमपी, दिल्ली, हरियाणा में सबसे ज्यादा डिमांड है।
मूर्ति बाजार के प्रदीप का कहना है कि छोटे बड़े मिलाकर करीब छह सौ शॉप हैं जयपुर में। इनमें से अधिकतर के पास कारखाने हैं और जो छोटे स्तर पर काम करते हैं वे घरों में ही माल बनाते हैं। सीधे तौर पर पचास हजार से ज्यादा लोग, जिनमें कारीगर भी शामिल हैं….. इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। पहली बार इतनी तेजी देखी गई है। अक्सर मूर्तियों में शिव परिवार और राम दरबार की डिमांड रहती है वह भी मंदिरों के लिए…..। लोग परिजनों की मूर्तियां भी बनवाते हैं लेकिन बेहद कम। बड़े कारोबारी विदेशों से भी ऑर्डर ले आते हैं। लेकिन छोटे कारोबारी कम ही माल बेच पाते हैं। इस बार हालात ये है कि लोगों की गाड़ियों, मकान की किश्तें फ्री हो गई हैं। राम दरबार लोग घरों के लिए भी ले जा रहे हैं।
– जयपुर और उदयपुर में हैं मूर्तियों की करीब नौ सौ दुकानें
– राजस्थान में मार्बल की करीब दो दर्जन खदानें, इस कारण सबसे सस्ता माल
– मकराना, अलवर का झीरी मार्बल और इटेलियन मार्बल से मूर्तियों होती हैं तैयार
– मकराना के अलावा नागौर, उदयपुर और राजसमंद में हैं खानें
– पांच सौ से ज्यादा दुकानों पर औसतन पांच ऑर्डर हर कारोबारी के पास