राजधानी में देवस्थान विभाग के अधीन 40 मंदिर हैं, इनमें से 33 मंदिरों में सेवा-पूजा व देखरेख का काम विभाग खुद कर रहा है। पुजारियों की नई भर्ती के बाद मंदिरों में एक-एक पुजारी लगे हैं, लेकिन सेवागीर नहीं है। विभाग के सूत्रों की मानें तो जो सेवागीर हैं उनकी हाजिरी मंदिरों में हो रही है, जबकि वे कार्यालय में लिपिक का काम कर रहे हैं। ऐसे ही जिन मंदिरों में 2 या 3 पुजारियों के पद हैं, उनमें से एक-एक पुजारी कार्यालय में लगा रखे हैं। इनमें 5 पुजारी और तीन सेवागीर भगवान की सेवा नहीं कर रहे बल्कि कार्यालय में फाइलें चला रहे हैं। इससे मंदिर में सेवा-पूजा प्रभावित हो रही है। हकीकत यह है कि अधिकतर मंदिरों में नियमित साफ-सफाई नहीं हो रही है। सफाई के नाम पर सिर्फ झाडू ही लग रही है।
33 मंदिर, सेवागीर सिर्फ 6 देवस्थान के 33 मंदिरों में सिर्फ 6 सेवागीर ही हैं। जबकि मंदिरों में साफ-सफाई व सुरक्षा के लिए सेवागीर होना जरूरी है। पहले एक-एक मंदिर में 5 से 6 सेवागीर होते थे, जिनमें भगवान का भोग बनाने के लिए रसोइदार व बालभोगिया होता था। इसके अलावा जलसेवक अलग से होता था। सफाई के लिए बुहारिया होता था, वहीं सुरक्षा के लिए प्रहरी और कीर्तन करने के लिए एक कीर्तनिया हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे सब सेवानिवृत्त होते गए, अब अधिकतर मंदिरों में एक भी सेवागीर नहीं है।
फैक्ट फाइल 40 मंदिर हैं जयपुर में देवस्थान विभाग के प्रत्यक्ष प्रभार के 5 मंदिरों को सुपुर्दगी श्रेणी में दे रखा है धार्मिक संगठनों को 33 मंदिरों की विभाग कर रहा है सेवा-पूजा व देखरेख
46 पुजारी हैं देवस्थान विभाग में विभाग के अफसरों की मानें तो जयपुर में विभाग के 46 पुजारी हैं। इनमें 28 पुजारी नई भर्ती में आए हैं, जबकि 18 पुराने पुजारी है। इसके बाद भी मंदिरश्री आनंदकृष्ण बिहारीजी, ब्रजनिधिजी और बृजराज बिहारीजी में 2-2 पुजारी ही हैं। अन्य मंदिरों में एक-एक पुजारी लगे हैं। जबकि ए श्रेणी के मंदिरों में 2 या तीन पुजारी लगाना जरूरी है।
………….. 33 मंदिरों में पर्याप्त पुजारी उपलब्ध होने से नियमित सेवा-पूजा हो रही है। इन मंदिरों में 6 सेवागीर भी कार्यरत हैं। — आकाश रंजन, सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग