क्षेत्र में शाहपुरा सहित आसपास के क्षेत्र में पानी की कमी से अधिकांश किसान केवल बारिश पर आधारित फसल ही कर पाते है। इस बार बाजरे की कटाई के बाद समय पर अच्छी बारिश होने पर किसानों ने सरसों, तारामीरा, चना की बुवाई कर दी और जिन किसानों के पास पानी की उपलब्धता थी उन्होंने खेतों में जौ एवं गेहूं की फसल बुवाई कर दी। इस बार मौसम में बार बार बदलाव से सर्दी भी देर से आई है। जबकि दिसंबर में कडाके की सर्दी पडती है, लेकिन दिसंबर माह समाप्त होने को है,लेकिन अभी तक सर्दी चरम पर नहीं पहुंची है।
तापमान ने रोकी फसलों की ग्रोथ….
दिसंबर माह कड़ाके की सर्दी का होता है, लेकिन अभी सर्दी नहीं पड़ रही है। दिन के तापमान ज्यादा रहने से धूप में भी तेजी बनी हुई है। तापमान अधिक रहने से फसलों की ग्रोथ पर विपरित असर पड़ा है। जौ फसल के तो एक से डेढ़ फीट पर ही बालियां आ गई है। सरसों में भी फूल आने के साथ साथ फलियां आ चुकी है। तापमान ज्यादा रहने से पौधों में ब्राचिंग व फ्रुटिंग भी कम होती है। इससे पैदावार पर असर पड़ता है। बसंत आने में भी अभी एक माह है। ऐसे में बसंत पूजन तक सरसों फूल मुश्किल ही रह पाएंगे। पौधों की ग्रोथ कम रहने से उपज के साथ साथ चारे का उत्पादन भी कम रहेगा। जिससे चारा संकट छा सकता है।
बारिश हो तो मिले राहत
कृषि अधिकारी डॉ. हरबक्श चौधरी ने बताया कि तापमान वृद्धि के चलते पौधों की ग्रोथ कम हुई है और पौधों में ब्रांचिंग कम हो पाई है। रबी फसल के लिए दिन का तापमान करीब 22 डिग्री व रात का करीब 6 से 7 डिग्री रहना चाहिए। फसलों को अब पानी की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। बारिश हो जाए तो फसलों को काफी लाभ मिल सकेगा।
सर्वाधिक बुवाई सरसों की हुई
इस बार समय पर बारिश होने पर किसानों ने सर्वाधिक सरसों की बुवाई की है। शाहपुरा सहायक कृषि विस्तार कार्यालय के अधीने आने वाले शाहपुरा, जमवारामगढ़, आंधी, पावटा, कोटपूतली और विराटनगर तहसील में गेहूं 46824 हैक्टैयर, जौ 11675 हैक्टेयर, चना 9856 हैक्टेयर, सरसों 52800 हैक्टेयर तथा तारामीरा 5229 हैक्टेयर जमीन पर बुवाई की गई है।
Makar Sankranti 2023: पर्व का पुण्यकाल 15 जनवरी को, बनेगा त्रिग्रही योग
इनका कहना है…..
इस बार बारिश समय पर होने पर किसानों ने फसल की अगेती बुवाई कर दी थी। तापमान की वजह से गेहूं व जौ में समय से बालियां आ गई और ग्रोथ भी कम हुई है। इससे उपज पर भी असर पड़ेगा। फसलों को पानी की आवश्यकता है। इस समय मावठ हो जाए तो फसलों को लाभ होगा।
-भागचंद कुमावत, सहायक निदेशक कृषि विस्तार शाहपुरा