भाजपा सरकार ने हटा दी थी एनसीईआरटी पुस्तकें पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान एक बड़ा फैसला किया गया था। वर्ष 2016 में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम की किताबें हटाकर पुन: माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने पाठ्यक्रम की किताबें छापी थी। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की करीब तीस लाख किताबें थी। एक मौटे अनुमान के तौर पर एक किताब की कीमत 20 रुपए भी माने तो करीब छह करोड़ रुपए की किताबें रद्दी हो गई थी।
1998 से हर बार रद्दी हो रही किताबें -1998 में कांग्रेस सरकार ने किताबों पर ‘बिजली बचाओ, पानी बचाओ’ के नारे के साथ मुख्यमंत्री का फोटो लगा दिया था। कांग्रेस संबंधी कुछ इतिहास भी जोड़ा गया।
– 2003 में भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री का फोटो किताबों से हटा दिया। साथ ही कांग्रेस सरकार के समय जोड़़ गए पाठ भी हटा दिए। दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित संघ के अन्य विचारकों को शामिल किया गया।
– 2009 में कांग्रेस सरकार ने फिर दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को किताबों से हटा दिया। – 2011-12 में कांग्रेस सरकार ने फिर एनसीईआरटी का सिलेबस लागू कर दिया, इससे माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की बची हुई सभी किताबें रद्दी हो गई।
-2016 में एनसीईआरटी की किताबें हटाकर पुन: माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया। साथ ही कई अन्य परिवर्तन भी किए गए। तब करीब 30 लाख किताबें रद्दी हुई थी। जितने बच्चे, उतनी ही छपवाएंगे किताबें
शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (
Govind Singh Dotasara ) ने बताया कि भाजपा कार्यकाल में जितनी किताबें रद्दी हुई, उसकी पांच फीसदी भी इस बार नहीं हो रही हैं। इस साल यह खास ख्याल रखा जा रहा है कि जितने बच्चे हों, उतनी ही किताबें छपवाई जाएं। ताकि आगामी वर्षों में कभी परिवर्तन भी हो तो किताबें बेकार नहीं हों।