कभी कार या दोपहिया वाहन नहीं चलाया
महाराष्ट्र के सतारा की रहने वाली सुरेखा यादव 1988 में देश की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनीं। उन्हें सबसे कुशल ट्रेन चालकों में गिना जाता जाता है, लेकिन उन्होंने कार या दोपहिया वाहन कभी नहीं चलाया। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि मैं वह सब कुछ कर सकती हूं, जो पुरुष कर सकते हैं। मैंने कार या बाइक चलाने में हाथ नहीं आजमाया, क्योंकि मुझे ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ी।
टीचर बनने का था सपना
सुरेखा पढ़ाई के दौरान लोको ड्राइवर नहीं, टीचर बनना चाहती थीं। इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के बाद उनका इरादा बदल गया। वह लोको पायलटों की प्रशिक्षक भी हैं। उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्विटर पर फोटो शेयर किया। इसमें सुरेखा वंदे भारत के पायलट केबिन में दिख रही हैं। वैष्णव ने लिखा, वंदे भारत.. पावर्ड बाय नारी शक्ति।