पांच सदस्यीय समिति गठित की जाए
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राजस्थान सरकार से कहा कि ओरण भूमि के संबंध में दिए गए निर्देशों की पालना के लिए हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की जाए। जिसमें वन विभाग का वरिष्ठ अधिकारी व विषय विशेषज्ञ भी शामिल हों। यह भी पढ़ें – खुशखबर, राजस्थान के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिलने लगा दूध
कन्या भ्रूण हत्या को कम करने का हुआ प्रयास
न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायाधीश एसवीएन भट्टी और न्यायाधीश संदीप मेहता की पीठ ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने पिपलांत्री गांव के श्याम सुंदर पालीवाल की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे न केवल गांव बल्कि आस-पास के इलाकों में भी पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया। वहीं इससे महिलाओं के खिलाफ सामाजिक पूर्वाग्रहों व कन्या भ्रूण हत्या को कम करने का भी प्रयास हुआ।तापमान में 3.4 डिग्री की आई कमी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा इससे 40 लाख से अधिक पेड़ लगे। जिससे भूजल स्तर लगभग 800-900 फीट ऊपर आ गया और तापमान में 3.4 डिग्री की कमी आई। यह भी पढ़ें – PM Modi Jaipur Visit : बिजली बिल कैसे हो जीरो, पीएम मोदी ने बताया उपाय
सैटेलाइट मैपिंग करे
कोर्ट ने कहा कि अदालती आदेशों से ऐसी भूमियों को अधिसूचित करना शुरू किया, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। वन विभाग ओरण, देव वनों और उपवनों की सैटेलाइट मैपिंग करे। यह भी पढ़ें – Weather Update : राजस्थान में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय, मौसम पलटा अब पड़ेगी कड़ाके की ठंड
कानूनी कदम उठा रही है राज्य सरकार
राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार उपवनों की सीमांकन प्रक्रिया और उन्हें संरक्षित करने के लिए कानूनी कदम उठा रही है। यह भी पढ़ें – राजस्थान के किसानों के लिए नया अपडेट, इस डेट तक करवा लें ये काम, चूके तो होगा नुकसान
2- पवित्र उपवनों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियमए 1972 के तहत संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।
3- इनके विकास में ऐसे स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएए जो ऐतिहासिक रूप से इनकी रक्षा करते आए हैं।
4- केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों का पालन किया जाए।
5- पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए।
6- राजस्थान सरकार को इन निर्देशों के क्रियान्वयन की पालना रिपोर्ट 10 जनवरी] 2025 तक सुप्रीम कोर्ट में पेश करे।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
1- ओरण, देव वन जैसे उपवनों का सर्वेक्षण कर उन्हें नोटिफाई करें। इनकी सैटेलाइट मैपिंग की जाए।2- पवित्र उपवनों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियमए 1972 के तहत संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।
3- इनके विकास में ऐसे स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएए जो ऐतिहासिक रूप से इनकी रक्षा करते आए हैं।
4- केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों का पालन किया जाए।
5- पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए।
6- राजस्थान सरकार को इन निर्देशों के क्रियान्वयन की पालना रिपोर्ट 10 जनवरी] 2025 तक सुप्रीम कोर्ट में पेश करे।