सुप्रीम कोर्ट ने अरावली रेंज और अरावली पहाड़ी की परिभाषा तय होने तक अरावली क्षेत्र में खानों के आवंटन और अवधिपार खानों के नवीनीकरण को अंतिम रूप देने पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद ही इनको अंतिम रूप दिया जा सकेगा। केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से राजस्थान सहित चार राज्यों के साथ बैठक कर अरावली रेंज व अरावली पहाड़ी की परिभाषा के बारे में दो माह में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। अब इस मामले में अगस्त में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से करीब 400 खानों का आवंटन प्रभावित होगा।
सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी आर गवई व न्यायाधीश अभय एस ओका की विशेष पीठ ने एम सी मेहता प्रकरण में यह आदेश दिया। अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने राज्य सरकार का पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अरावली रेंज व अरावली पहाड़ी को परिभाषित करने के लिए राजस्थान, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, हरियाणा व गुजरात के साथ बैठक करें और दो माह में कोर्ट में रिपोर्ट पेश की जाए।
कोर्ट ने यह कहा
अरावली क्षेत्र में जो खनन गतिविधियां चल रही हैं, वह प्रभावित नहीं होंगी।नीलामी प्रक्रिया भी पूर्ववत जारी रहेगी, जिस पर अदालती आदेश का प्रभाव नहीं होगा। सभी अनुमति, क्लीयरेंस व अन्य आवेदनों पर प्रक्रिया जारी रह सकेगी।नई लीज खनन संबंधी सभी वैधानिक अनुमतियों के बाद सुप्रीम कोर्ट की अनुमति से ही क्रियान्वित हो सकेगी।
अरावली क्षेत्र की खानों से 5700 करोड़ रुपए का राजस्व
अरावली क्षेत्र के 55 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 16 जिलों की 70 फीसदी खानें हैं। इन जिलों में अलवर, भरतपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा जिले भी शामिल हैं। अरावली क्षेत्र में प्रदेश की कुल 11000 से अधिक खान हैं, जिनमें से 1008 खानें अरावली पहाड़ी क्षेत्र में और करीब 10 हजार अरावली रेंज में हैं। इन खानों से प्रदेश को करीब 5700 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है।
400 खानों का आवंटन अटकासूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से करीब 400 खानों का आवंटन प्रभावित होगा। इनमें 300 के आसपास खातेदारी में खानों का आवंटन किया जाना था और करीब 100 खानें विभाग की ओर से नीलामी में आवंटित की गई थीं, जिन्हें चलाने को लेकर प्रक्रिया पूरी की जा रही थी। अब इनके लिए प्रक्रिया तो जारी रह सकेगी, लेकिन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने से पहले सुप्रीम कोर्ट से इजाजत लेनी होगी।
केन्द्रीय सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स की परिभाषा तय करने को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। इसमें अरावली पहाड़ी क्षेत्र में आने वाले चारों राज्यों राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिवों को सदस्य बनाया गया है।