ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अंधविश्वास का अंधेरा छाया हुआ है। इसके चलते ग्रामीण झाड़-फूंक के शिकंजे में जकड़े हुए हैं। ऐसे ही अंधविश्वास के शिकार दो बच्चे यहां महात्मा गांधी अस्पताल पहुंचे हैं, जहां वे मौत से संघर्ष करने के बाद अब फिर से जिंदगी की राह पर बढ़ चले हैं।दानपुर क्षेत्र के हीरियागढ़ी निवासी विकास (4) पुत्र नानूराम कटारा काफी समय से चर्म रोग से पीडि़त था। उसके पूरे शरीर में संक्रमण हो गया था। इसके बावजूद परिजन झाडफ़ूंक करने वालों से उपचार कराते रहे। जब कोई राहत नहीं मिली और विकास के पांवों की नसों से खून रिसने लगा है। तब 4 फरवरी उसे अस्पताल लेकर आए। इसी तरह आनंदपुरी क्षेत्र के सुकी टुमड़ी निवासी प्रियंका (2) पुत्री रूपलाल डामोर कुछ दिनों से बीमार चल रही थी। परिजनों ने झाडफ़ूंक कर इलाज कराया, लेकिन स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो पाया। इस पर बच्ची को उपचार कराने के लिए एमजी में भर्ती कराया है। बच्ची के शरीर में 4 ग्राम हिमोग्लोबीन है।रेड ड्रॉप ने किया सहयोगविकास और प्रियंका की गंभीर हालत और उनके शरीर में रक्त की कमी को देखते हुए रेड ड्रॉप इंटरनेशनल संस्था सहयोग के लिए आगे आई एवं दोनों बच्चों के लिए रक्त की व्यवस्था की। अध्यक्ष राहुल सराफ ने बताया कि अभी भी बच्चों को रक्त की आवश्यकता है जिसे ध्यान में रखते हुए सदस्य आगे आ रहे हैं।अतिकुपोषण है बच्चे महात्मा गांधी अस्पताल बांसवाड़ा के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजन चरपोटा ने बताया कि विकास अतिकुपोषित है। उसके शरीर में प्रोटीन के साथ विटामीन की कमी है। जिस कारण ब्लड निकल रहा है। जब वह अस्पताल में भर्ती हुआ तब उसकी हालत बहुत खराब थी। उसका इलाज जारी है। अब वह खतरे से बाहर है। इन्फेक्शन होने के कारण उसके पांवों में सूजन भी थी। प्रियंका की हालत बेहतर है।