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सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड-सीपीसीबी से मिले आंकड़ों के अनुसार जयपुर शहर में आज मानसरोवर सेक्टर 12 क्षेत्र में एक्यूआई लेवल 347 रहा जो बेहद खराब श्रेणी में है। वहीं सीतापुरा रीको क्षेत्र में एक्यूआई लेवल 307 दर्ज किया गया। जबकि आदर्श नगर क्षेत्र में सुबह एक्यूआई 196 रहा जो शहर में सुबह सबसे कम रहा है। शास्त्री नगर में एक्यूआई 284, पुलिस कमिश्नरेट 262, मुरलीपुरा सेक्टर दो में एक्यूआई 205 रहा जो खराब श्रेणी में शामिल है।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड-सीपीसीबी से मिले आंकड़ों के अनुसार जयपुर शहर में आज मानसरोवर सेक्टर 12 क्षेत्र में एक्यूआई लेवल 347 रहा जो बेहद खराब श्रेणी में है। वहीं सीतापुरा रीको क्षेत्र में एक्यूआई लेवल 307 दर्ज किया गया। जबकि आदर्श नगर क्षेत्र में सुबह एक्यूआई 196 रहा जो शहर में सुबह सबसे कम रहा है। शास्त्री नगर में एक्यूआई 284, पुलिस कमिश्नरेट 262, मुरलीपुरा सेक्टर दो में एक्यूआई 205 रहा जो खराब श्रेणी में शामिल है।
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एयर क्वालिटी इंडेक्स लेवल सौ से कम रहने पर ऑक्सीजन की शुद्धता बेहतर मानी जाती है जो लोगों के सेहतमंद स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। बीते दिनों दीपोत्सव पर्व पर शहर में जमकर हुई आतिशबाजी के अलावा शहर में बढ़ रहे वाहनों के उपयोग से कॉर्बन डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों के उत्सर्जन से भी गुलाबी नगर की आबोहवा जहरीली होने लगी है। दूसरी तरफ शहर में उत्तर पश्चिमी हवाएं चलने से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र, हरियाणा राज्यों में छाई स्मॉग की मोटी परत का मूवमेंट भी प्रदेश की ओर रुख कर रहा है। जिसके असर से राजधानी जयपुर में भी हवा की गुणवत्ता अब ‘खराब‘ श्रेणी में आ चुकी है। गुलाबी सर्दी के साथ बढ़ रहे वायु प्रदूषण के चलते श्वांस रोग से संबंधित जटिलताओं का सामना लोगों को करने लगा है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स लेवल सौ से कम रहने पर ऑक्सीजन की शुद्धता बेहतर मानी जाती है जो लोगों के सेहतमंद स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। बीते दिनों दीपोत्सव पर्व पर शहर में जमकर हुई आतिशबाजी के अलावा शहर में बढ़ रहे वाहनों के उपयोग से कॉर्बन डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों के उत्सर्जन से भी गुलाबी नगर की आबोहवा जहरीली होने लगी है। दूसरी तरफ शहर में उत्तर पश्चिमी हवाएं चलने से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र, हरियाणा राज्यों में छाई स्मॉग की मोटी परत का मूवमेंट भी प्रदेश की ओर रुख कर रहा है। जिसके असर से राजधानी जयपुर में भी हवा की गुणवत्ता अब ‘खराब‘ श्रेणी में आ चुकी है। गुलाबी सर्दी के साथ बढ़ रहे वायु प्रदूषण के चलते श्वांस रोग से संबंधित जटिलताओं का सामना लोगों को करने लगा है।