उन्होंने यह सफलता दूसरे प्रयास में प्राप्त की है। उनके पिता सोहनलाल की वर्ष 2015 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। जब वह महज 12 साल के थे। पिता के असामयिक निधन के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। परिवार के नाजुक आर्थिक हालातों के चलते मां सावित्री देवी ने खेतों में फसल कटाई की मजदूरी कर विक्रम को पढ़ाया।
विक्रम ने एमए तक की पढ़ाई कर सेना की तैयारी की। घर में रहकर ही विक्रम ने बिना किसी कोचिंग की सहायता के सेना की तैयारी जारी रखी। रोजाना दस घंटे की पढ़ाई तथा फिजिकल अभ्यास किया। दूसरे प्रयास में विक्रम ने सफलता प्राप्त की तथा गांव में पहले लेफ्टीनेंट बने है।
विक्रम ने सफलता का श्रेय मां, बड़े भाई और चाचा गुल्लाराम को दिया है। विक्रम ने बताया कि पिता के निधन के बाद उनकी निरक्षर मां का सपना था कि उनका पुत्र सेना में बड़ा अधिकारी बने, जिसे उन्होंने पूरा किया है। 12 जुलाई से इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में ट्रेनिंग होगा, जो करीब अठारह माह चलेगी।