जयपुर

मैं तनाव में हूं, क्या करूं, प्लीज हेल्प मी…स्टूडेंट्स कॉल कर मांग रहे मदद , जानिए अब तक कितने बच्चे कर चुके हैं बात

Mental Health: मैं पढ़ना चाहता हूं लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं, मैं क्या करूं। तनाव में हूं, प्लीज हेल्प मी…। मेरी परीक्षा नजदीक है पर पढ़ाई मन नहीं लग रहा, फेल हो गया तो घरवालों को कैसे मुंह दिखाऊंगा…।

जयपुरSep 07, 2023 / 11:46 am

Nupur Sharma

पत्रिका न्यूज नेटवर्क/जयपुर। Mental Health: मैं पढ़ना चाहता हूं लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं, मैं क्या करूं। तनाव में हूं, प्लीज हेल्प मी…। मेरी परीक्षा नजदीक है पर पढ़ाई मन नहीं लग रहा, फेल हो गया तो घरवालों को कैसे मुंह दिखाऊंगा…। इस तरह के सवालों के जवाब इन दिनों सेेठी कॉलोनी स्थित मनोचिकित्सा केंद्र में स्थापित टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्क अक्रॉस स्टेट्स(टेली मानस) केंद्र के मनोवैज्ञानिकों से स्टूडेंट्स की ओर से फोन पर पूछे जा रहे हैं। कारण स्टूडेंट्स खुद को तनाव व अवसाद से बाहर निकालने के लिए मनोवैज्ञानिकों की मदद ले रहे हैं। टेली मानस केंद्र के अधिकारियों ने बताया कि उनके पास दो माह में प्रदेशभर से 2200 से ज्यादा फोन कॉल्स आए हैं। इसमें लोग विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए परामर्श मांग रहे हैं। इनमें भी 500 से ज्यादा फोन कॉल्स केवल स्टूडेंट्स ने किए हैं। उनकी उम्र 15 से 25 वर्ष है। बातचीत में पता चला कि वे परीक्षा के परिणाम, कॅरियर, आर्थिक स्थिति, परिवार के सपोर्ट, कलह, प्रेम संबंध आदि कारणों को लेकर तनाव झेल रहे हैं। इससे निजात दिलाने के लिए मनोचिकित्सक उनकी काउंसलिंग कर रहे हैं। लक्षण व बातचीत के आधार पर उन्हें नजदीकी मनोचिकित्सक या मनोचिकित्सा केंद्र पर जाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं ताकि उनका इलाज हो सके।

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चौबीस घंटे हो रही मदद
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो सांइसेज (एनआईएमएचएएनएस) बेंगलूरु की टीम की ओर से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की मदद की जा रही है। टेली मानस इसी के तहत काम कर रहा है। मदद के लिए यहां तीन मनोचिकित्सक, 6 मनोवैज्ञानिक व 10 काउंसलर्स चौबीस घंटे ड्यूटी देते हैं। परामर्श के लिए उनके पास टोल फ्री नंबर पर कॉल आता है।

काउंसलिंग में ये आया सामने
20% को कॅरियर की चिंता।
05% प्रेम प्रसंग के कारण तनाव में।
50% परीक्षा व उनके परिणाम का तनाव झेल रहे हैं।
15% परिवार का सपोर्ट नहीं मिलने या कलह से परेशान।
10% बीमारी या अन्य कारणों से परेशान।

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मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बच्चे खुलकर बात कर रहे हैं। वे इससे निकलना चाहते हैं। यह अच्छी बात है। इसमें टेली मानस अहम मददगार साबित हो रहा है। परिजन भी उन्हें समझें और सपोर्ट करें। उन पर किसी भी तरह का दबाव न बनाएं। उन्हें ऑप्शन दें कि यह नहीं तो वो कर लें लेकिन तनावग्रस्त न हों। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। कोचिंग इंस्टीट्यूट भी उन्हें ऑप्शन दें। -डॉ.ललित बत्रा, अधीक्षक, मनोचिकित्सा केंद्र, सेठी कॉलोनी

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