बजरी माफिया का दुस्साहस, एसडीएम पर गाड़ी चढ़ाने का प्रयास
जयपुर। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण एनजीटी) ने नदियों के किनारे के खेतों से बजरी खनन की लीज की आड़ में अवैध खनन की शिकायत को गंभीरता से लिया है। इस मामले में नोटिस जारी कर राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है, वहीं जांच के लिए खान निदेशक के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर 6 सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी।
एनजीटी की भोपाल बेंच ने नेचर क्लब आॅफ राजस्थान की याचिका पर यह आदेश दिया। क्लब की ओर से अधिवक्ता संदीप सिंह शेखावत ने एनजीटी को बताया कि खातेदारी जमीन में बजरी खनन लीज के नाम पर अवैध खनन किया जा रहा है। नदियों के किनारे और उनके प्रवाह क्षेत्र में गड्ढे खोदकर पानी का बहाव रोका जा रहा है। निजी खातेदारी की जमीन से बजरी निकालने के रवन्ना में भी भारी गड़बड़ी है। एक ही जिले में बजरी परिवहन के लिए 600 से 700 किलोमीटर दूरी के लिए रवन्ना जारी किया जाता है और एक रवन्ना से चार से पांच चक्कर तक लगाए जाते हैं। बजरी के खनन में राज्य सरकार की 2020 की सेंड माइनिंग गाइडलाइंस का भी उल्लंघन किया जा रहा है।
कमेटी में ये शामिल
एनजीटी ने जांच व कार्रवाई के लिए खान विभाग के निदेशक, राज्य स्तर पर पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन के लिए गठित प्राधिकरण का प्रतिनिधि व राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल प्रतिनिधि की संयुक्त कमेटी बनाने का आदेश दिया है। यह भी कहा कि कमेटी कार्रवाई की रिपोर्ट 6 सप्ताह के भीतर न्यायाधिकरण को पेश करे।
राजस्थान पत्रिका ने उठाया मुद्दा
बजरी के अवैध खनन और उसके कारण नदियों को हुए नुकसान को लेकर राजस्थान पत्रिका ने मुद्दा उठाया। इस मामले को लेकर प्रकाशित समाचारों में कहा गया कि अधिकारी इस मामले में मौन हैं, जिससे अवैध खनन रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है।