जेलों की स्थिति में सुधार और कैदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए उठाए कदम
कारागार मंत्री टीकाराम जूली ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार ने सुरक्षा, स्वावलंबन और सुधार के लक्ष्य के साथ कार्य करते हुए जेलों की स्थिति में सुधार और कैदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने राजस्थान की जेलों को सुरक्षा की दृष्टि से सबसे बेहतर माना है और आईसीजेएम प्रणाली के उपयोग के लिए राजस्थान को पूरे देश में पहला स्थान मिला है। जूली विधानसभा में मांग संख्या 17 (कारागार) की अनुदान मांगों पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। चर्चा के बाद सदन ने कारागार की 2 अरब, 47 करोड़ 71 लाख 51 हजार रूपये की अनुदान मांगे ध्वनिमत से पारित कर दी। जूली ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि राज्य की जेलों में कैदियों की संख्या क्षमता के अनुसार ही है और सफाई एवं अन्य जरूरी सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। प्रदेश की जेलों की क्षमता 22 हजार 897 कैदियों की है, जबकि वर्तमान में 22 हजार 938 कैदी जेलों में बंद हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी 2020 से जेलों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया। राजस्थान राज्य विधिक सेवा समिति ने सर्वे कर जेलों की व्यवस्थाओं की प्रशंसा की है।
जूली ने बताया कि कारागार विभाग जेलों की स्थिति में सुधार और कैदियों के कल्याण के लिए नई तकनीक और नवाचार अपनाने में हमेशा अग्रणी रहा है। हार्डकोर कैदियों की कोर्ट में सुनवाई के लिए ऑनलाइन व्यवस्था का विस्तार किया गया है। उन्हाेंने बताया कि वर्ष 2019 के प्रारंभ में केवल 25 जेलों में ई-पेशी के लिए वीसी की व्यवस्था थी जिसे बढ़ाकर वर्तमान में 92 जेलों तक किया जा चुका है और शेष जेलों में भी इसके लिए कार्यवाही चल रही है। उन्होंने बताया कि आईसीजेएम प्रणाली के उपयोग के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से सीसीटीएनएस तथा आईसीजेएम अवार्ड की घोषणा में राजस्थान को पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। जूली ने कहा कि राज्य की जेलों में कैदियों के रखने की क्षमता बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा कि जेल तंत्र को मजबूत करने और बंदियों के कल्याण के लिए ई-मुलाकात, केंटीन व्यवस्था, कौशल प्रशिक्षण, विभागीय कार्मिकों का समय पर प्रमोशन और प्रहरी के पदों पर भर्ती करने जैसे कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जेलों में कई रचनात्मक गतिविधियां करवाई जा रही है ताकि कैदी जेल का समय पूरा करने के बाद बाहर आने पर स्वयं को समाज का अंग समझें और सामान्य जीवन जी सकें।