जयपुर

राज्य की नई इको टूरिज्म पॉलिसी लॉन्च

मुख्यमंत्री ने लॉन्च की इको टूरिज्म पॉलिसीसीएम ने ली स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठककुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व बनाने पर चर्चा

जयपुरJul 15, 2021 / 11:54 pm

Rakhi Hajela

राज्य की नई इको टूरिज्म पॉलिसी लॉन्च


जयपुर, 215 जुलाई
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने प्रदेश की नई इको टूरिज्म पॉलिसी लॉन्च (New eco tourism policy launched) कर दी है। गुरुवार को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक (State Wildlife Board meeting) में गहलोत ने पॉलिसी लॉन्च की। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से राज्य में पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। राज्य मंत्रिमंडल ने हाल ही में राजस्थान इको-टूरिज्म पॉलिसी (Rajasthan Eco-Tourism Policy) का अनुमोदन किया है। उन्होंने राज्य में एक विशेष वेटरनरी लैब (veterinary lab) की स्थापना के लिए परीक्षण करने के निर्देश दिए। जिससे वन्यजीवों और अन्य पशु-पक्षियों से संबंधित नमूनों, रोग परीक्षण आदि की शीघ्र जांच संभव हो सकेगी।
विशेषज्ञों का पैनल बनाने के निर्देश
मुख्यमंत्री निवास से वीसी के माध्यम से स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की 12वीं बैठक ((State Wildlife Board meeting) ) को संबोधित करते हुए उन्होंने विशेषज्ञों का एक पैनल बनाने के निर्देश दिए। उनका कहना था कि यह पैनल रणथम्भौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve) में बाघों की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें अन्य अभयारण्य क्षेत्रों में शिफ्ट करने तथा मुकुन्दरा हिल्स एवं रामगढ़ टाइगर रिजर्व को विकसित करने के संबंध में अध्ययन कर सुझाव देगा।
बैठक में उनका कहना था कि सरकार प्रदेश में बाघों के सरंक्षण के लिए नए टाइगर रिजर्व विकसित करने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने बंूदी के रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य को हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने टाइगर रिजर्व के रूप में स्वीकृति प्रदान करने पर खुशी जताई और कहा कि अब हमारा प्रयास कुंभलगढ़ अभयारण्य सहित अन्य वन क्षेत्रों में बाघों एवं दूसरे वन्यजीवों के संरक्षण को बढ़ावा देना है।

उनका कहना था कि वन और वन्यजीवों के साथ वेटलैण्ड्स और ग्रासलैण्ड्स आदि का संरक्षण राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए राज्य सरकार वन्यजीव प्रेमियों, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, डब्ल्यूआईआई, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रही है। बैठक में वाइल्ड लाइफ बोर्ड के स्तर पर वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस के प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया। साथ ही, राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल के क्षेत्राधिकार से जुड़े प्रकरणों को राष्ट्रीय मंडल के समक्ष भेजने का निर्णय किया गया। साथ ही, राज्य बजट में की गई विभागीय घोषणाओं की प्रगति पर भी चर्चा की गई। इस दौरान प्रोजेक्ट लेपर्ड, मानव और वन्यजीव संघर्ष, वन क्षेत्रों में जल प्रबंधन, अभयारण्य क्षेत्रों से मानव आबादी के पुनर्वास, तालछापर में वन्यजीव प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई ने कहा कि नम एवं दलदली भूमि क्षेत्र के संरक्षण एवं इन क्षेत्रों के विकास के लिए विभाग प्रयासरत है। वन्य जीव बोर्ड के सदस्य पूर्व मंत्री एवं विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने वन विभाग में विभिन्न पदों पर रिक्तियों को शीघ्र भरने, चंबल, परवन, कालीसिंध आदि नदियों में घडिय़ालों के संरक्षित प्रजनन तथा मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चीता लाने की संभावनाओं पर सुझाव दिया। बैठक में बोर्ड के सदस्य एनटीसीए के पूर्व निदेशक डॉ. राजेश गोपाल, जैसल सिंह, सुनील मेहता, धीरेन्द्र गोधा, सनी सेबेस्टियन, सिमरत संधू, हरसहाय मीणा, नीकाराम गरासिया भी शामिल हुए और सुझाव दिए। बोर्ड की बैठक में विशेषज्ञ के तौर पर शामिल वल्र्डवाइड फंड फॉर नेचर के वि सिंह, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के विभाष पांडव, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि डॉ. वाईवी झाला, बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि विनोद मैना, डॉ. केएस गोपीसुन्दर आदि ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बैठक में वन विभाग के उच्चाधिकारी भी उपस्थित थे।

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