9600 करोड़ रुपए में बनेगा ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट
जयपुर। प्रदेश के दक्षिणी एवं दक्षिण.पूर्वी राजस्थान में आमजन और पशुधन के लिए पीने के पानी के साथ ही औद्योगिक गतिविधियों के पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने का काम अब राज्य सरकार ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के जरिए करेगी। इस कैनाल पर 9600 करोड़ रुपए खर्च होंगे जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को बजट में की। राजस्थान की करीब तीन करोड़ जनता से जुड़ा ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट राज्य व केंद्र सरकार के बीच फंस कर रह गया है। मुख्यमंत्री पिछले दो साल में आधा दर्जन पत्र प्रधानमंत्री व जल शक्ति मंत्री को लिख चुके हैं। नीति आयोग की बैठक में भी इसका मुद्दा उठ चुका है। प्रोजेक्ट की डीपीआर बने पांच साल से भी ज्यादा समय हो चुका है।
पिछले विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का आश्वासन दिया था। अब तक इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं मिला है। कांग्रेस सरकार ने फिर से महामारी के दौरान प्रस्तावित पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ईआरसीपी के लिए राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मांगा था साथ ही गर्मियों के दौरान पेयजल की आपूर्ति के लिए एक आकस्मिक योजना भी तैयार की थी। गहलोत कई बार पीएम को लिख चुके हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसे में अब गहलोत सरकार ने ईस्टर्न कैनाल का काम खुद करने का फैसला किया है।
13 जिलों को मिलेगा पानी
ईस्टर्न कैनाल से पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को सिंचाई और पीने का पानी मिलेगा। इन 13 जिलों में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट में मानसून के दौरान कुन्नू, कुल, पार्वती, कालीसिंध, मेज नदी बेसिनों के अधिशेष पानी को बनास, मोरेल, बाणगंगा, पार्बती, कालीसिंध व गंभीर नदी बेसिनों में पहुंचाया जाना है। नोदरा, इसरदा लिंक का काम अब राज्य सरकार करेगी।
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