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राजस्थान बस ऑपरेटर सोसाइटी के उपाध्यक्ष कैलाश चंद्र शर्मा ने बताया कि देशभर में सबसे ज्यादा निजी फिटनेस सेंटर्स राजस्थान में हैं। हालात यह हो चुकी है कि बस या अन्य कॉमर्शिलय वाहनों में सब कुछ ठीक होने के बावजूद भी तीन से पांच हजार रूपए ज्यादा देने पड़ते हैं। इनमें 1200 रूपए की निजी फिटनेस सेंटर की फीस भी शामिल होती हैं। जबकि परिवहन विभाग की फिटनेस फीस अलग से देनी पड़ती हैं। साथ ही फिटनेस सेंटर की मनमानी भी सहन करनी पड़ती हैं। उन्होंने बताया कि दूरदराज के जिलों में तो फिटनेस सेंटर्स के दाम और बढ़ जाते हैं।
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ना कोई डिग्री, ना अनुभव
बताया जा रहा है कि अधिकांश निजी फिटनेस सेंटर्स पर ऐसे व्यक्ति वाहनों का फिटनेस करते हैं, जिनके पास ना तो वाहनों की फिटनेस के संबंध में कोई डिग्री है और ना ही कोई अनुभव। ऐसे में वे व्यक्ति वाहनों को फिट या अनफिट घोषित करते हैं। इनमें जो संचालक पैसा देता है, उसके वाहनों को फिट बताया जाता हैं। यदि कोई अतिरिक्त पैसा नहीं देता है तो उसे अनफिट बता देते हैं।
रजिस्टर्ड जिले में ही फिटनेस कराने की मजबूरी
बता दें कि निजी फिटनेस सेंटर्स खुलने के बाद यह नियम बना दिया गया है कि वाहन जिस जिले में रजिस्टर्ड हो, वहीं पर फिटनेस करवाना अनिवार्य हैं। ऐसे में बस संचालकों के सामने बड़ी मुश्किल आ रही हैं। उनका कहना है कि यदि बस गंगानगर से रजिस्टर्ड है और उसका रूट जयपुर से कोटा का है तो उसे फिटनेस के लिए गंगानगर जाना पड़ता है। इसके कारण वे परमिट के रूट को छोड़कर गंगानगर जाते हैं जो कि नियम विरूद्ध है। साथ ही इससे बस भी रूट पर नहीं चल पाती, जिससे यात्रियों को परेशानी होती है। ऐसे में यदि बस संचालक बिना बस भेजे फिटनेस करवाते हैं तो उन्हें करीब 10 हजार रूपए मजबूरी में देने पड़ते हैं। बस संचालकों ने मांग उठाई है कि किसी भी परिवहन कार्यालय पर बस के फिटनेस की अनुमति दी जानी चाहिए।