जैन धर्म ग्रंथों में भी उल्लेख
जानकारी के अनुसार वर्ष में तीन बार कार्तिक, फाल्गुन एवं आषाढ़ में मनाए जाने वाले इस पर्व की शुरुआत महासती मैना सुन्दरी की ओर से की गई। उन्होंने पति श्रीपाल के कुष्ठ रोग निवारण के लिए इसकी शुरुआत की। इसका जैन ग्रन्थों में भी उल्लेख मिलता है।
जानकारी के अनुसार वर्ष में तीन बार कार्तिक, फाल्गुन एवं आषाढ़ में मनाए जाने वाले इस पर्व की शुरुआत महासती मैना सुन्दरी की ओर से की गई। उन्होंने पति श्रीपाल के कुष्ठ रोग निवारण के लिए इसकी शुरुआत की। इसका जैन ग्रन्थों में भी उल्लेख मिलता है।